नयी दिल्ली: कांग्रेस ने मिलिंद देवड़ा के इस्तीफे के बाद एकनाथ गायकवाड़ को पार्टी की मुंबई इकाई का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गायकवाड़ को मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया है. पूर्व सांसद गायकवाड़ महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से मिलिंद देवड़ा ने इस्तीफा दे दिया था. माना जा रहा है कि देवड़ा को कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में कोई भूमिका दी जाएगी, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि देवड़ा को किया ज़िम्मेदारी मिलेगी. कांग्रेस की सियासत पर गहरी नज़र रखने वाले नेताओं का मानना है कि मिलिंद देवड़ा का कांग्रेस में आज तक सही से इस्तेमाल नहीं हो सका है.
जानकार मानते हैं की मिलिंद देवड़ा कॉग्रेस के लिए एक अनमोल रत्न साबित हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस अपने नेताओं को उन का सही मुक़ाम लंबे समय से नहीं दे पा रही है. उन का मानना है कि यह चीज़ उस वक़्त तक छुपी थी जब पार्टी सत्ता में थी लेकिन सत्ता से बाहर आने के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने पार्टी को हाईजेक कर लिया है और वह पार्टी को अपने हितों के लिए पूरी तरह तबाह करने पर लगे हुए हैं.
जानकारों का मानना है कि जो नेता पार्टी के संकट मोचन बन सकते हैं पार्टी में उन का संकट की घडी में सदुपयोग नहीं हो पा रहा है और ONE MAN ONE POST के सिद्धांत से भी पार्टी भटक गयी है और कुछ नेता तो ऐसे हैं कि जिन को जहां की ज़िम्मेदारी दी गए वहां उन्होंने पार्टी को खत्म कर दिया. यही वजह है कि महाराष्ट्र से लेकर गुजरात और पूरे साउथ ख़ास कर तिलंगा आंध्रा में पार्टी आखिरी सांस ले रही है और बिहार से लेकर उप और गुजरात में पार्टी का बनवास खत्म होता नहीं दिख रहा है, जबकि 2012 में रीता जोशी ने पार्टी को सत्ता के क़रीब ला दिया था लेकिन फिर वही हुआ जिस का इलज़ाम कांग्रेस नेताओं पर लगता रहा है और अभी हाल में कश्मीर से कांग्रेस के एक नेता ने तो वहां पार्टी को कोमा में पहुंचा दिया, जिस से निकालना प्रियंका के लिए चैलेंज से कम नहीं है.
दिल्ली में भी कांग्रेस पटरी से पूरी तरह उतर चुकी है. खबर तो यहां तक है कि पार्टी के कुछ सीनियर नेता उन नेताओं को पार्टी में पनपने ही नहीं देना चाहते जो पार्टी के लिए सच में काम करना चाहते हैं. ऐसे में यह सवाल बना हुआ है कि क्या सच में मिलिंद देवड़ा जैसे नेताओं का सदुपयोग हो पायेगा या नहीं. कहा जाता है कि मिलिंद देवड़ा पार्टी के लिए फण्ड भी जमा कर सकते हैं लेकिन उन का ढंग से इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है.
ज्ञात रहे कि देवड़ा के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया था, 'इसके बारे में मल्लिकार्जुन खड़गे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल को अवगत कराया गया है.' इस कदम को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के AICC के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद एकजुटता और सामूहिक जिम्मेदारी के तौर पर देखा गया. आपको बता दें कि मिलिंद देवड़ा को लोकसभा चुनाव से एक महीने पहले मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था. ऐसे में उन्हें चुनाव की तैयारी करने के लिए जरूरी समय भी नहीं मिला था.
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