रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा - आदरणीय मोदी जी, देश के प्रधानमंत्री होकर आप 62 करोड़ किसानों की रोजी-रोटी छीनने का षड़यंत्र क्यों कर रहे हैं? देश का अन्नदाता किसान करहा रहा है, न्याय मांग रहा है, पर आप कंटीले तार, अश्रु गैस, पुलिस की लाठियों एवं डंडों से और सरकार के बल से उसकी हिम्मत को तोड़ने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? और काशी की पवित्र धरती पर जाकर जब देश के प्रधानमंत्री छल और कपट से झूठ बोलकर देश को किसान की हालत के बारे में बरगलाएं तो इससे पीड़ादायक बात और हो भी क्या सकती है?
मोदी जी सीधे सवालों का देश को सीधा जवाब दीजिए। देश के किसान और मजदूर को जवाब दीजिए- आप खेती विरोधी तीन काले कानून कब खत्म करेंगे? खेती विरोधी तीन काले कानून संसद में जबरदस्ती क्यों पारित करवाए थे? न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म करने का षड़यंत्र क्यों किया जा रहा है? 25 लाख करोड़ रुपए का खेती का कारोबार आप मुट्ठी भर उद्योगपतियों को क्यों देना चाहते हैं? अनाज मंडियों को क्यों खत्म किया जा रहा है?
ये प्रश्न हैं, जिनका आप जवाब दे नहीं रहे और ये प्रश्न हैं, जिनका जवाब किसान मांगता है। अगर ये काले कानून किसान के पक्षधर हैं, तो फिर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र सहित पूरे देश का किसान आंदोलनरत क्यों है? और आप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी इन काले कानूनों के अंदर देने से गुरेज क्यों कर रहे हैं? सवाल सीधे ये हैं और देश को बरगलाने से पहले देश को सच्चाई जानना जरुरी है और सच्चाई ये है कि जबसे मोदी सरकार आई है, तबसे किसान विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं।
फैसला नंबर एक- जून, 2014 में मोदी जी आपने शासन संभालते ही, आपने हर प्रांत को लिखकर आदेश दिया - किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस नहीं दिया जाएगा। कई प्रांतो में लागत एग्रीकल्चर प्राईस कमीशन की एमएसपी से ज्यादा है। वहाँ बोनस क्यों नहीं दिया जा सकता, आपने उस पर पाबंदी क्यों लगाई? क्या ये किसान विरोधी नहीं?
दूसरा- दिसंबर, 2014 में किसान की भूमि एक्वायर होने के उचित मुआवजा कानून को खत्म करने का अध्यादेश मोदी जी आप लेकर आए। राहुल गांधी जी के नेतृत्व में देश के किसान ने रामलीला ग्राउंड से लेकर देश के कोने-कोने में हुंकार भरी, तो आपको मजबूरन वो कदम पीछे लेना पड़ा। क्या वो किसान विरोधी नहीं?
तीसरा- फरवरी, 2015 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि किसान को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उससे मार्केट डिस्ट्रोट हो जाएगी। जब आपने सत्ता ली, तब तो किसान को 50 प्रतिशत मुनाफा देना था, परंतु सत्ता में आने के बाद किसान को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा नहीं? 24 मार्च, 2017 को देश की संसद के अंदर आपने ये कहा किसान की कर्जमाफी नहीं हो सकती। आज कर्ज माफी का रोना रो रहे हैं, पर आपने तो एक फूटी कौड़ी देने से किसान को इंकार कर दिया। कांग्रेस ने 2008- 2009 के अंदर 72 हजार करोड़ रुपए माफ किया था, 4 करोड़ 30 लाख किसानों का और फसल बीमा योजना के नाम पर क्या घालमेल और घोटाला चल रहा है। अभी तक 90 हजार करोड़ रुपए प्राईवेट बीमा कंपनियों को प्रिमियम दे दिया और उन्होंने 26 हजार करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा कमा लिया। आप बात करते हैं किसान निधि योजना की। 2015-16 के कृषि सेंसस के मुताबिक इस देश के अंदर 14 करोड़ 65 लाख किसान हैं। उनमें से 6 करोड़ किसानों को तो आप फूटी कौड़ी देते नहीं और जिन किसानों को आप देते भी हैं, आप एक किसान को 6 हजार रुपए देते हैं और उसकी जेब से 30 हजार रुपए दो हैक्टेयर का निकाल लेते हैं।
हम बताते हैं कैसे – आपने खाद पर, बीज पर, किटनाशक दवाई पर और ट्रैक्टर पर 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया। पेट्रोल और डीजल, डीजल की कीमत 25 रुपए लीटर बढ़ा कर 15 लाख करोड़ रुपए कमा लिए। यही नहीं खाद की कीमतें बढ़ा दी। 30 हजार रुपए कमाते हैं और 6 हजार रुपए किसान को देकर उस पर अहसान करते हैं। सच्चाई का सामना कीजिए, किसान के साथ न्याय कीजिए, काले कानून खत्म करिए, वरना गद्दी छोड़ दीजिए। यही देश का किसान कहता है, Speak Up For Farmers !
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