केंद्र सरकार द्वारा संसद में पास किए गए किसान विधयक पर जारी किसानों के आंदोलन में कांग्रेस पार्टी की ओर से पार्टी के दिग्गज नेता कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के पॉलीटिकल एडवाइजर और पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने मोर्चा संभाल रखा है। यह वही अहमद पटेल हैं जिन्हों ने अपने राज्य सभा के चुनाव में गृह मंत्री अमित शाह को मात दी थी।
सड़क से संसद तक अहमद पटेल किसान बिल के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखते हुए नजर आ रहे हैं और किसानों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए नजर आ रहे हैं। अहमद पटेल की ओर से किसानों के हित में खड़ा होना कई सारे संकेत देता है, क्योंकि अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के चोटी के नेताओं में शामिल हैं और उनकी पहुंच भी दूर तक है। अभी हाल ही में अहमद पटेल ने दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस के रोल की राष्ट्रपति से भी शिकायत की थी।
भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति का विरोध करने वाले सांसदों को चाय दो या ना दो, लेकिन सरकार की गलत नीतियों कारण देश के सबसे खराब आर्थिक संकट के समय हमारे किसानों को सम्मानजनक MSP ही दे दो। pic.twitter.com/1DJIKgjt6J
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) September 22, 2020
अहमद पटेल का किसानों के हितों में खड़ा होना यह संकेत है कि किसानों के लिए आने वाले दिनों में अच्छी ख़बर आ सकती है और सरकार को बिल में बदलाव के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यही वजह है कि शायद अभी तक केंद्र सरकार ने बिल पर दस्तखत के लिए राष्ट्रपति को नहीं भेजा है, क्योंकि राष्ट्रपति का सिग्नेचर होते ही यह बिल कानून का रूप ले लेगा। संसद के अंदर किसान बिल को लेकर के धरना देने वाले अहमद पटेल ने ट्वीट किया है कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति का विरोध करने वाले सांसदों को चाय दो या ना दो। ज्ञात रहे कि सुबह चाय दे कर राज्यसभा के उपसभापति ने यह मैसेज देने की कोशिश की थी कि उनके साथ संसद में अच्छा बर्ताव नहीं हुआ लेकिन उसके बावजूद वह शिष्टाचार की परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए सांसदों को चाय पेश करना चाहते हैं।
जिसकी प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशंसा भी की थी और उन्होंने ट्वीट करके उपसभापति के इस कदम की सराहना करते हुए कहा था कि उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं हुआ। उसके बावजूद उन्होंने यह कदम उठाया जो सराहनीय है, लेकिन अब पटेल ने कहा है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण देश के सबसे खराब आर्थिक संकट के समय हमारे किसान सम्मान जनक MSP के हकदार हैं। ज्ञात रहे कि इस नेगेटिव ग्रोथ में भी भारतीय किसानों ने पॉजिटिव ग्रोथ (3.4%) दिया है, जिसके बाद किसानों का यह कहना है कि अगर सरकार उनके आंदोलन को हल्के में लेती है तो यह सरकार की भूल है और वह सरकार को चैन की नींद उस वक्त तक सोने नहीं देंगे जब तक कि सरकार बिल में बदलाव नहीं लाती है और एसपी को 100% गारंटी नहीं कर देती है और एम्एसपी का उल्लंघन करने वालों को जेल की सजा का प्रावधान नहीं करती है।
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