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कल नीतीश का विश्वास घात और आज अमित शाह इज न्यू जिन्नाह ट्रेंड कर रहा है

ज्ञात रहे कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लिया था. लोकसभा में भाजपा और मोदी सरकार का पक्ष लेने के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ उनके अपनों ने ही बयान दिया था. पीके के नाम से मशहूर पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने कहा था कि यह पार्टी के संविधान के विरुद्ध है, जबकि पवन वर्मा ने भी इस पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद इस बात की शंका व्यक्त की जा रही थी कि नीतीश कुमार राज्यसभा में यू-टर्न ले सकते हैं और वह राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में वोट कर सकते हैं.

By: वतन समाचार डेस्क

कल नीतीश का विश्वास घात और आज अमित शाह इज न्यू जिन्नाह ट्रेंड कर रहा है

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नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में भारतीय जनता पार्टी और सरकार का पक्ष लेने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौतरफा घिर गए हैं. नीतीश कुमार इस वक्त सोशल मीडिया के निशाने पर हैं. 12 दिसंबर 2019 को भारत में पूरे दिन सोशल मीडिया पर "नीतीश का विश्वासघात" ट्रेंड करता रहा, जबकि 13 दिसंबर की सुबह से "अमित शाह इज़ न्यू जिन्नाह" ट्रेंड कर रहा है.

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 ज्ञात रहे कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लिया था. लोकसभा में भाजपा और मोदी सरकार का पक्ष लेने के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ उनके अपनों ने ही बयान दिया था. पीके के नाम से मशहूर पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने कहा था कि यह पार्टी के संविधान के विरुद्ध है, जबकि पवन वर्मा ने भी इस पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद इस बात की शंका व्यक्त की जा रही थी कि नीतीश कुमार राज्यसभा में यू-टर्न ले सकते हैं और वह राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में वोट कर सकते हैं.

 

 लेकिन उन्होंने तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अपने सबसे करीबी और पुराने साथी आरसीपी सिंह को मैदान में उतारा और उन्होंने सदन में जमकर विपक्ष के खिलाफ बोला और सरकार के तर्कों को साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया.

 

 ज्ञात रहे कि तीन तलाक बिल पर भी नीतीश कुमार ने इनडायरेक्टली मोदी सरकार का सपोर्ट किया था, और लोकसभा में उनके नेता ने बिल के खिलाफ जरूर वोट किया था लेकिन वह वाकआउट कर गए थे जिससे सरकार का पक्ष और मजबूत हो गया था. संसदीय प्रणाली में वॉक आउट का मतलब यही माना जाता है कि आप सरकार के साथ हैं और सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं.

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