मध्यप्रदेश के बैतूल से एक बेहद चिंताजनक खबर सामने आ रही है, जिसमें पुलिस पर आरोप यह है कि पुलिस ने दीपक बुंदेले नामी वकील को मुसलमान समझ करके जम कर मारा. द वायर ने अपनी एक स्टोरी में इस बात का दावा किया है. साथ ही एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की है कि पुलिस ने दीपक बुंदेले को मुसलमान समझ करके मारा. पुलिस दंगों में आमतौर पर हिंदुओं का समर्थन करती है, तथाकथित तौर पर पुलिस वाले यह कहते हुए सुने जा सकते हैं. ऑडियो रिकॉर्डिंग में मौजूद पुलिस वाला उन पुलिसकर्मियों की ओर से माफी मांगता है. इस घटना के कारण वास्तव में वह शर्मिंदा हैं. यदि आप चाहते हैं तो माफी मांगने के लिए उन अधिकारियों को ला सकता हूं.
सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या गांधी के देश में मुसलमानों का खून इतना सस्ता हो गया है और दाढ़ी रखना क्या सच में जुर्म है? घटना 23 मार्च की है. दीपक बुंदेले नाम के वकील अपने उपचार के लिए अस्पताल जा रहे थे, पुलिस ने मुसलमान समझकर उनकी पिटाई कर दी और पिटाई भी कम नहीं बल्कि उनके कान से काफी खून आया. बुंदेले ने द वायर को बताया कि 23 मार्च को 5:30 6:00 बजे के दरमियान की यह घटना है. उस वक्त लॉक डाउन की घोषणा नहीं हुई थी. हां! बैतूल में धारा 144 लग गई थी. उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज वह हैं.
बुंदेली के अनुसार मार के दौरान पुलिस वालों से उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने कोई गलत काम किया है तो वह उनको 188 के तहत
हिरासत में ले सकते हैं, लेकिन उनका यह कहना था कि पुलिस वालों ने अपना आपा खो दिया, उनपर टूट पड़े और उन्होंने बुंदेले को भी और संविधान को भी गालियां देनी शुरू कर दीं.
जब मैं ने बतया कि मैं वकील हूं तब उन्होंने मारना बंद किया, बुंदेले ने कहा, हालांकि 24 मार्च को बुंदेले ने इसकी FIR के लिए शिकायत की लेकिन 17 मई को खबर के अनुसार जो पुलिस वाले उनका बयान लेने आए उन्होंने कहा कि बुंदेले की पहचान में उनको गलती हो गई. बुंदेले के अनुसार उनका बयान 5 मिनट में लिया जा सकता था लेकिन 3 घंटे तक यह काम जारी रहा और उन पर दबाव बनाया जाता रहा कि वह FIR की अपनी शिकायत वापस ले लें.
हालांकि रिपोर्ट के अनुसार इसकी शिकायत मुख्यमंत्री आला पुलिस अधिकारियों कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मानव अधिकार आयोग समेत कई स्तर पर बुंदेले ने की है. अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या होता है? बुंदेले ने कहा कि पुलिस ने माफी मांग ली है, लेकिन उन्हें सवाल किया कि यदि मैं मुसलमान होता भी तो पुलिस को किसने इजाजत दी है कि बिना किसी कारण के वह प्रताड़ित करें. बुंदेले ने 10 साल तक भोपाल में पत्रकार के तौर पर काम किया. उसके बाद लॉ की प्रैक्टिस के लिए 2017 में वह बैतूल आ गये. उन्होंने कहा कि वे अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगे लेकिन अभी तक इस मामले में एफआइआर दर्ज नहीं हुई है.
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