नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के हटने और सोनिया गांधी के फिर से कमान संभालने के बाद आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में भारतीय युवा कांग्रेस और एनएसयूआई की भागीदारी बहुत सीमित हो गयी है।
दरअसल, युवा कांग्रेस ने संगठन की परंपरा के मुताबिक महाराष्ट्र में अपने 13 पदाधिकारियों और हरियाणा में सात पदाधिकारियों को टिकट देने की अनुशंसा की लेकिन उसे मायूसी हाथ लगी।
महाराष्ट्र में युवा कांग्रेस से जुड़े सिर्फ तीन लोगों को टिकट दिया गया तो हरियाणा में युवा कांग्रेस के सिर्फ एक नेता शीशपाल केहरवाला को कालावंली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया।
इसी तरह, एनएसयूआई हरियाणा में अपने दो पदाधिकारियों शौर्यवीर सिंह को पानीपत (ग्रामीण) और वर्धन यादव के लिए बादशाहपुर से टिकट मांग रही थी, लेकिन किसी को टिकट नहीं मिला।
राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते पिछले साल युवा कांग्रेस की अनुशंसा पर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 और राजस्थान विधानसभा चुनाव में 12 टिकट दिए गए थे।
युवा कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, '' राहुल जी के अध्यक्ष रहते युवा कांग्रेस की सिफारिश पर पिछले साल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 और राजस्थान विधानसभा चुनाव में 12 टिकट दिए गए थे, लेकिन इस बार युवा कांग्रेस की उपेक्षा कर दी गयी। इसके बावजूद चुनाव में युवा कांग्रेस पूरी मेहनत कर रही है। ''
एनएसयूआई के एक पदाधिकारी ने कहा, ''हमारे किसी व्यक्ति को टिकट नहीं मिलने से एनएसयूआई को बहुत निराशा हुई है, लेकिन हम चुनाव में पार्टी के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।''
दरअसल, सोनिया के कमान संभालने के बाद नीति निर्धारण में कई पुराने नेताओं की भूमिका बढ़ने से पार्टी के वो युवा नेता खुद को असहज पा रहे हैं जो कभी टीम राहुल का हिस्सा थे और भविष्य के नेतृत्व में अपने लिए अहम किरदार देख रहे थे।
दूसरी तरफ, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सोनिया गांधी सभी से विचार-विमर्श के बाद निर्णय ले रही हैं और पार्टी में युवाओं की पूरी भागीदारी है।
वर्तमान में पार्टी के भीतर युवा नेताओं की उपेक्षा के सवाल पर कांग्रेस के एक महासचिव ने ''पीटीआई-भाषा'' से कहा, ''अगर कोई अनदेखी की शिकायत कर रहा है तो वह गलत है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान संगठन में हुए बदलाव या टिकट वितरण के निर्णय पूरे विचार-विमर्श के बाद लिए गए हैं।''
उन्होंने कहा, ''पार्टी में पद या टिकट पाने के लिए युवा होना कोई इकलौता मापदंड नहीं है, बल्कि इसके लिए यह भी देखना होता है कि कोई व्यक्ति पार्टी एवं उसकी विचारधारा के प्रति कितना समर्पित है तथा वह पार्टी के लिए कितना हितकारी हो सकता है। वरिष्ठ नेताओं ने वर्षों तक पार्टी की सेवा की है और उन्हें महत्व मिलना स्वाभाविक है। योग्य युवा नेताओं को भी पूरा मौका मिल रहा है।''
राहुल गांधी के हटने के बाद पार्टी के कई युवा नेता खुलकर अपनी उपेक्षा का आरोप लगा चुके हैं। हरियाणा में अशोक तंवर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और उत्तर प्रदेश में अदिति सिंह एवं महाराष्ट्र में संजय निरुपम ने बागी तेवर अपना लिया है।
इस बीच, अभी कई ऐसे युवा नेता हैं जो नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर यह स्वीकार करते हैं कि वे राहुल गांधी के हटने के बाद से पार्टी में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।
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