"यूपीएससी जिहाद और जामिया के जिहादी" जैसे भर्मित प्रोपेगैंडा के बीच वतन समाचार के सवालों का जवाब देते हुए जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन जफर महमूद ने भारतीय संविधान की प्रशंसा करते हुए कहा है कि भारत का संविधान सभी तरह के अभिकथन और आरोपों से निपटने में काफी सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। डॉक्टर महमूद ने बताया कि संविधान के आर्टिकल 51A में नागरिकों को इस बात का दायित्व दिया गया है कि वह आपस में भाईचारा प्यार और मोहब्बत फैलाएं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संविधान नागरिकों को इसके लिए ड्यूटी बाउंड करता है। उन्होंने कहा कि हम सब की पहली प्राथमिकता यही है कि संविधान का सम्मान हो और उसको जमीनी स्तर पर इंप्लीमेंट किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो आईपीसी में उसके लिए सजा का प्रावधान है। साथ ही केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट में भी भारत सरकार और भारत सरकार के अधिकारियों को बहुत सारी जिम्मेदारी दी गई है कि कोई भी प्रोग्राम कोई भी डिबेट ऐसी ना हो जिस से नफरत फैले या समुदायों के बीच एक-दूसरे को लड़ाने का काम हो।
उन्होंने कहा कि सुदर्शन टीवी के प्रोमो में इन प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। न सिर्फ संविधान आर्टिकल 51a बल्कि केबल टीवी नेटवर्क का भी उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे मिनिस्ट्री आफ इनफॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग के क़ानूनों भी violate हो रहे हैं। उन्होंने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन को भारतीय संविधान का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि यह संविधान के तहत काम करने वाली संस्था है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को लगता है कि कहीं कोई संस्था या कोई व्यक्ति गलत कर रहा है तो उसके लिए रूल रेगुलेशन मौजूद हैं, लेकिन हवा में तीर मार कर के किसी को बदनाम करना यह काफी दुखद और चिंताजनक है।
यही वजह है कि पूर्व नौकरशाहों के एक बड़े समूह ने इसकी न सिर्फ निंदा की है, बल्कि इसके विरुद्ध कार्रवाई की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि जब जामिया के जिहादी और UPSC जिहाद नामी शो पर दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया तो अगले दिन यह लोग कोर्ट फिर गए और वहां अपना पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने उसे मानने से इंकार कर दिया और स्टेज जारी रखा।
उन्होंने कहा कि यूपीएससी मिनिस्ट्री आफ परसौनल के तहत काम करती है जिसके मंत्री खुद प्रधानमंत्री होते हैं इसका अलग से कोई मंत्री नहीं होता है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज देश के अलग-अलग जगहों पर भी इसके खिलाफ एफआईआर (FIR) हो रहे हैं कि घृणा और नफरत पर लगाम लगनी चाहिए। उन्होंने संविधान के आर्टिकल 16 का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल 16 में स्टेट को इस बात के लिए बाउंड किया गया है कि वह यह पता लगाए कि समाज में कमजोर तबके कौन-कौन से हैं और उनके उत्थान के लिए एफर्मेटिव एक्शन करें ताकि उनका उत्थान हो सके।
उन्होंने कहा कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया सरकार की इस ड्यूटी में उसकी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया सरकार के तहत सरकार के कानून के तहत भारत के संविधान के तहत रजिस्टर्ड एक बड़ी है जो भारत के सभी क़वानीन को पूरी इमानदारी और जिम्मेदारी से पालन कर रहा है। हमारा हर साल ऑडिट होता है। हमारा हिसाब दूध की तरह सफ़ेद है, लेकिन जो लोग नफरत फैला रहे हैं उन पर एक्शन होना चाहिए ताकि आर्टिकल 51a और आर्टिकल 16 की रक्षा हो सके।
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