Amit shah की मांग, कहा हिंदी को अंग्रेज़ी के विकल्प में स्वीकार करना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को देश में हिंदी भाषा के महत्व पर चर्चा की। चर्चा करते हुए अमित शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह देश भर में अंग्रेजी भाषा का उपयुक्त विकल्प कैसे होना चाहिए। संसद परिसर में राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता के दौरान अमित शाह ने अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि हिंदी अंग्रेजी भाषा का विकल्प होनी चाहिए न कि कोई अन्य स्थानीय भाषाओं की।
अमित शाह ने अपनी मांग रखते हुए यह भी कहा कि, “हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के लिए। जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रचार संभव नहीं।”
इतना ही नहीं, हिंदी के महत्व पर जोर देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, “अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने भारतीयों को या सुझाव भी दिया कि, “जब भारत का नागरिक एक-दूसरे के साथ बात करते हैं, तो उन्हें हमेशा भारतीय भाषाओं का उपयोग करना चाहिए। चाहे वह क्षेत्रीय हो या राज्य-विशिष्ट। वहीं मांग की बात करें तो बैठक के ही दौरान, गृह मंत्री ने सर्वसम्मति से समिति की रिपोर्ट के 11वें भाग को भारत के राष्ट्रपति को भेजने से संबंधित मंजूरी दे दी है।
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राजभाषा समिति की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “वर्तमान राजभाषा समिति जिस गति से आज काम कर रही है, वह शायद ही पहले कभी देखी गई हो। समिति के एक ही कार्यकाल में भारत के राष्ट्रपति को तीन रिपोर्ट भेजना सभी की संयुक्त उपलब्धि मानी जाती है।
अमित शाह ने यह भी बताया कि सरकार किस प्रकार भाषा के इस्तेमाल को महत्व दे रही है और उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 22,000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। इतना ही नहीं, उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कुछ और उपलब्धियों को गिनाया और कहा कि आज वर्तमान में पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों ने दसवीं कक्षा तक के विद्यालयों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति जताई है।
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