AMU अमुवि में दिन भर क्या हुआ
अलीगढ़, 29 मार्चः कतिपय मीडिया स्रोतो में समुदाय विशेष के छात्रों के उत्पीड़न सम्बन्धी समाचार का संज्ञान लेते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा उन छात्रों से वार्ता तथा स्थलीय निरीक्षण के पश्चात उक्त समाचार का निराधार होना पाया गया है। आज विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों जैसे डीन, स्टूडैन्ट्स वैलफेयर तथा प्रोवोस्ट, मोहम्मद हबीब हाल द्वारा प्रकाशित समाचार को गंभीरता से लेते हुए मौके पर गहनता से तथ्यात्मक जांच की गई तो निम्नलिखित तथ्य प्रकाश में आऐ।
1. प्रकरण विश्वविद्यालय के एक आवासीय हाल मोहम्मद हबीब हाल से सम्बन्धित है, जहां मुख्य रूप से कृषि विज्ञान संकाय के छात्रों को छात्रावास आवंटित किया जाता है। आवेदकों /इच्छुक छात्रों की संख्या उपलब्ध कमरों से अधिक होने के कारण एक प्रतिक्षा सूची बनायी जाती है जिसमें वरिष्ठता के क्रम में स्थान उपलब्ध होने पर आवंटन किया जाता है। वर्तमान में मोहम्मद हबीब हाल में 261 छात्रों की प्रतिक्षा सूची है जिसमें वर्ष 2019-2020 के छात्र भी सम्मिलित हैं। ऐसी परिस्थिति में शिकायत कर्ता छात्रों (जिनका प्रवेश 2022-23 में हुआ है) को क्रम में आने पर ही आवंटन हो सकता है। इसमें किसी भी आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है।
2. प्रकरण से संबन्धित छात्रों द्वारा जिस सिक्योरिटी गार्ड के कमरे में रहने की बात बताई गई है वह उन्हें आवंटित नहीं हैं। न ही इसका आवंटन किया जाता है। बल्कि छात्रों के निरंतर व्यक्तिगत अनुरोध पर मोहम्मद हबीब हाल प्रबंधन द्वारा उन्हें वहां रहने की अनुमति दी गयी है। ज्ञात हो कि इन छात्रों से वरिष्ठता सूची में ऊपर छात्रों को भी अभी तक उपलब्धता न होने के कारण रूम आवंटित नहीं हो पाया है। केवल मानवीय आधार पर उन्हें वहां रहने की अनुमति दी गयी थी। आज विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उनकी स्थिति का संज्ञान लेते हुए तत्काल पंखा आदि की व्यवस्था कर दी गयी है।
3. प्रभावित छात्रों द्वारा डीन, स्टूडैन्ट वैलफेयर तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी समस्या से अवगत कराया गया है जिनका किसी वर्ग अथवा समुदाय से नहीं अपितु हाॅस्टल में उपलब्ध स्थानों से अधिक वेटिंग लिस्ट में छात्रों की संख्या होने से है। जहां तक छात्रों का यह कहना कि प्रतिक्षा सूची में उनसे कनिष्ठ छात्रों को आवंटन कर दिया गया है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
4. विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वार्ता के क्रम में छात्रों द्वारा बताया गया कि उनके किसी सहपाठी के साथ सर्पदंश की घटना नहीं हुई है तथा समाचार में इसे बढ़ा कर लिखा गया है। इस तथ्य की पुष्टि विश्वविद्यालय के मेडिकल काॅलेज से भी की गई है जहां विगत दो माह में किसी भी छात्र को सर्पदंश-उपचार हेतु नहीं लाया गया।
5. जहां तक हाॅस्टल शुल्क की बात समाचारों में प्रकाशित की गई है, यह शुल्क शैक्षणिक तथा हाॅस्टल दोनों का समावेश है तथा सम्बन्धित कोर्स के सभी छात्रों (जो हाॅस्टल में रहना चाहते हैं) के लिये समान रूप से देय है।
विश्व्विद्यालय द्वारा संबन्धित छात्रों से वार्ता कर उनके पक्ष को आज सुना गया है और आश्वस्त किया गया है कि यदि उनकी कोई भी समस्या होगी तो उसका नियमानुसार निराकरण कराया जायेगा। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सभी छात्रों के कल्याण के लिये समान रूप से प्रतिबद्व है।
जेएन मेडिकल कालिज में संक्रमण रोकथाम पर कार्यक्रम
अलीगढ़, 29 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की हास्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी ने एमबीबीएस बैच 2018 के इंटर्न के लिए अपना पहला इंडक्शन प्रोग्राम आयोजित किया, ताकि उन्हें हेल्थकेयर संक्रमण की रोकथाम के बारे में संवेदनशील बनाया जा सके।
प्राचार्य और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, प्रोफेसर राकेश भार्गव ने जोर देकर कहा कि संक्रमण नियंत्रण एक टीम वर्क है, एक साझा जिम्मेदारी है, जिसमें डॉक्टर पथप्रदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। टीम के सबसे कम उम्र के सदस्य होने के नाते इंटर्न को व्यवहार प्रथाओं में बदलाव लाने के लिए अग्रणी होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यहां आत्मसात किया गया ज्ञान और कौशल व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उपयोगी होगा।
डीन फैकल्टी ऑफ मेडिसिन प्रो. वीणा माहेश्वरी ने कहा कि संक्रमण पर नियंत्रण कार्यक्रम तभी कुशल माना जाता है, जब उचित रूप से उसका क्रियान्वयन हो। उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीजों और कर्मचारियों के बीच संक्रमण नियंत्रण आवश्यक है जिस पर डाक्टरों को सावधान रहने की जरूरत है।
चिकित्सा अधीक्षक प्रो हारिस मंजूर खान ने कहा कि छोटे-छोटे कदम व्यापक परिवर्तन लाते हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से हेपेटाइटिस बी वायरस टीकाकरण कराने का आग्रह किया, क्योंकि यह इंटर्न और स्वास्थय कर्मियों के समक्ष सबसे आम व्यावसायिक जोखिम है। आने वाले समय में हम अस्पताल में संक्रमण की रोकथाम के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखेंगे।
कार्यक्रम को डॉ. फातिमा खान, डॉ. आफिया सुल्तान, डॉ. नाजिश फातिमा, डॉ. अनीस अख्तर, डॉ. आयशा अहमद, और प्रो. जहरा मोहसिन ने सम्बोधित किया। डॉ. शारिक अहमद, डॉ. शारिक वदूद, डॉ. अहसान इमाम, श्री सोयब खान, श्री. प्रदीप वाष्र्णेय, श्री मुकेश शर्मा, श्री वाजिद इलाही, सुश्री निसार जहाँ, और सुश्री सुनेजा एम चरण ने पीपीई पहनने और उतारने पर व्यावहारिक गतिविधि का संचालन किया।
इस अवसर पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता में डॉ. हुसैन को प्रथम पुरस्कार तथा डॉ. नबील एवं डॉ. अतिका एवं को क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय उपविजेता का पुरस्कार हासिल किया।
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”यूथ 20 इंडिया समिट” में प्रतिभाग कर प्रतीक्षा सिंह व अनुपम गुप्ता ने बढ़ाया जनपद अलीगढ़ का
गौरव
अलीगढ़, 29 मार्चः भारत द्वारा जी20 फोरम की अपनी अध्यक्षता कार्यकाल में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा जी20 के अंतर्गत कराये गए वाई20 (यूथ-20) समिट के शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडीकल यूनीवर्सिटी के आतिथ्य में किया गया।
वाई20 समिट में जनपद अलीगढ़ से डेलीगेट्स के रूप में प्रतीक्षा सिंह एवं अनुपम गुप्ता ने प्रतिभाग किया। प्रतीक्षा सिंह एएमयू से एमबीए की छात्रा हैं एवं अनुपम गुप्ता एएमयू भौतिक विज्ञान विभाग के पूर्व छात्र हैं व वर्तमान में ग्रामोद्धार महाविद्यालय के छात्र हैं। प्रतीक्षा सिंह पूर्व में भी राज्य स्तर पर जनपद का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं व स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इंटर्नशिप में राज्य पुरुस्कार विजेता रह चुकी हैं। अनुपम गुप्ता भी पूर्व में भी राज्य स्तर पर विभिन्न भाषण प्रतियोगिताओं व यूथ पार्लियामेंट में जनपद अलीगढ़ के प्रतिनिधित्व कर चुके हैं व एएमयू की ओर राष्ट्रीय स्तर वक्ता रह चुके हैं।
विमर्श के दौरान डेलीगेट के रूप में प्रतीक्षा सिंह द्वारा पैनल से पूछे गए प्रश्नों को भी कार्यक्रम में सराहना प्राप्त हुई।
“स्वास्थ्य, समृद्धि व खेलः युवाओं हेतु एजेंडा” विषय पर होने वाले वाई20 कार्यक्रम में चयन हेतु जनपद स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला युवा अधिकारी, जिला युवा कल्याण अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की समिति द्वारा पूर्व उपलब्धियों एवं वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर जनपद का प्रतिनिधित्व करने हेतु दोनों युवाओं का चयन किया गया था।
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प्रो तारिक मंसूर उर्दू विभाग में नवनिर्मित सभागार का उद्घाटन किया
अलीगढ़ 29 मार्चः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित उर्दू के प्रसिद्व लेखक, कार्टूनिस्ट और अलीगढ़ सभ्यता के प्रेरणता प्रोफेसर रशीद अहमद सिद्दीकी के नाम पर बने ऑडिटोरियम का उद्घाटन वाइस चांसलर प्रो. तारिक मंसूर द्वारा किया। उदघाटन कार्यक्रम में उर्दू विभाग के शिक्षक व छात्र-छात्राएं सहित विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल हुई।
इस अवसर पर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि उर्दू विभाग एक अनूठा विभाग है, जिसे एक प्रमुख विभाग का दर्जा प्राप्त है। यह पूरी दुनिया में उर्दू का सबसे बड़ा विभाग है। इससे कई बड़ी हस्तियां जुड़ी हुई हैं जिनकी एक लंबी सूची है, रशीद अहमद सिद्दीकी उनमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण नाम है, वे इस विभाग के पहले स्थायी अध्यक्ष बने, इस विभाग को आगे बढ़ाने और उर्दू को बढ़ावा देने में उन्होंने भूमिका निभाई है।
कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि हमारे शास्त्रीय विभागों को महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि वे इस विश्वविद्यालय की पहचान हैं, हर विभाग महत्वपूर्ण है लेकिन कुछ ऐसे विभाग हैं जो संस्था की पहचान बनते हैं।
ऐसा कोई अवसर नहीं था जब कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को कुलपति का सहयोग न मिला हो। कोविड-19 के दौर में 0005 पृष्ठों वाला ‘रफतार’ प्रकाशित हुआ और संदर्भ ग्रंथ माना जाने लगा। 1920 से इस क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान करने से निस्संदेह आपको सफलता मिलेगी।
उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद अली जोहर ने अपने स्वागत भाषण में विभाग की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान कुलपति के सहयोग से विभाग के संसाधनों में काफी इलाफा हुआ है और यहां के शिक्षकों ने साहित्यक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कार्यक्रम को प्रोफेसर सिराज अजमली, प्रो. कमरूल हुदा फरीदी और प्रो. सैयद मोहम्मद हाशिम ने भी सम्बोधित किया। उपस्थितजनों का आभार डा. आफताब आलम नजमी ने जताया। इस दौरान प्रो. रशीद अहमद सिद्दीकी के पुत्र श्री अकबर रशीद व उनकी पत्नी के अलावा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के डीन, विभागों के अध्यक्ष, शोधार्थी और छात्र भी मौजूद रहे।
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वाणिज्य विभाग के शिक्षक द्वारा आमंत्रित व्याख्यान
अलीगढ़, 29 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कामर्स विभाग के प्रोफेसर प्रोफेसर मोहम्मद शादाब खान ने हाल ही में यूनिवर्सिटी आफ केरल स्टडी एण्ड रिसर्च सेंटर अलापुजा और कामर्स विभाग तथा यूजीसी हयूमैन रिसोर्स डवलपमेंट सेंटर यूनिवर्सिअी आफ केराला के सहयोग से आयोजित सप्ताह भर के आउट कम बेस्ड टीचिंग, लर्निंग एण्ड असिस्मेंट एण्ड न्यू नार्मल विषय पर आयोजित शार्ट टर्म कोर्स में आमंत्रित अतिथि वक्ता के रूप में व्याख्यान प्रस्तुत किया।
प्रोफेसर खान ने अपने व्याख्यान की शुरुआत होरेस मान के उद्धरण से की, जिन्होंने कहा था, एक शिक्षक जो सीखने की इच्छा के साथ छात्र, को प्रेरित किए बिना पढ़ाने का प्रयास कर रहा है, वह ठंडे लोहे पर हथौड़ा मार रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण को समझने के मौलिक रूप से दो भिन्न तरीके हैं। पहले शिक्षण को एक प्रशिक्षक-केंद्रित गतिविधि के रूप में देखता है जिसमें ज्ञान किसी ऐसे व्यक्ति से प्रसारित होता है जिसने नौसिखिए शिक्षार्थियों को वह ज्ञान प्राप्त किया हैरू ज्ञान संचरण के रूप में शिक्षण। दूसरे मामले में शिक्षण, एक शिक्षार्थी-केंद्रित गतिविधि के रूप में जिसमें प्रशिक्षक यह सुनिश्चित करता है कि नौसिखिए शिक्षार्थियों के लिए सीखना संभव है और नए ज्ञान के उनके सक्रिय और स्वतंत्र निर्माण में उनका समर्थन, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन करता है।
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