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Delhi Riot Case: पुलिस को फटकार, चार आरोपी बरी

Delhi Riot Case: दिल्ली दंगों के मामले में राजधानी की एक अदालत ने शाहरुख(Shahrukh) समेत चार आरोपियों को बरी करते हुए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट का कहना था कि पुलिस इन आरोपियों के खिलाफ केवल जुबानी जमा खर्च करती रही। अदालत के समक्ष रखे गए साक्ष्यों में कहीं से भी इन लोगों पर आरोप साबित नहीं होता। बरी किए गए तीन अन्य आरोपियों में आशू, जुबैर और अश्वनि शामिल हैं।

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो

 

Delhi Riot Case: पुलिस को फटकार, चार आरोपी बरी

 

Delhi Riot Case: दिल्ली दंगों के मामले में राजधानी की एक अदालत ने शाहरुख(Shahrukh) समेत चार आरोपियों को बरी करते हुए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट का कहना था कि पुलिस इन आरोपियों के खिलाफ केवल जुबानी जमा खर्च करती रही। अदालत के समक्ष रखे गए साक्ष्यों में कहीं से भी इन लोगों पर आरोप साबित नहीं होता। बरी किए गए तीन अन्य आरोपियों में आशू, जुबैर और अश्वनि शामिल हैं।

 

जनसत्ता के अनुसार बरी किए गये आरोपियों पर दंगा और तोड़फोड़ करने का आरोप था। मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने हालिया आदेश में कहा, “आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ अभियोजन अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में सक्षम नहीं है और यही आपराधिक मामलों के कानून की कसौटी है। इसलिए हिंसा मामले में सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया जाता है।”

 

ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के मामले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।

 

 

 

 

जस्टिस अजय रस्तोगी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, "इस स्तर पर हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है जब मामला उच्च न्यायालय के अधीन है।" उच्च न्यायालय ने 16 सितंबर को पूर्वोत्तर दिल्ली में 2020 के दंगों में शामिल होने से संबंधित उनके खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी के संबंध में हुसैन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

 

 

 

 

 

 

अगले सप्ताह दायर इसी तरह की याचिकाओं में, उच्च न्यायालय ने एक नोटिस जारी किया, प्रतिवादियों के वकील को अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया, और 25 जनवरी, 2023 को अन्य याचिकाओं के साथ मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

 

 

 

 

सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने पूछा कि क्या उच्च न्यायालय इस मामले पर "अधिक तेजी से" फैसला कर सकता है, पीठ ने जवाब दिया, "नहीं, धन्यवाद"।

 

 

 

एक अलग मामले में, दिल्ली की एक अदालत ने इस महीने की शुरुआत में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत हुसैन के खिलाफ आरोप तय किए, जो धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 4 के तहत दंडनीय है। अदालत ने पाया कि हुसैन " ”उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगों के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग में engaged हैं"।

 

 

 

 

मालूम हो कि अदालत शाहरुख, आशु, जुबेर और अश्विनी के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी। इन लोगों पर 25 फरवरी 2020 को यहां कर्दम पुरी(Kardam Puri) में एक पार्किंग स्थल पर ट्रैक्टर और ठेले को आग लगाने और स्कूल बसों में तोड़फोड़ करने का आरोप था। आरोप के मुताबिक ये लोग हिंसा करने वाली भीड़ का हिस्सा थे।

 

बता दें कि अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने बताया था कि इस मामले में दो गवाहों ने आरोपियों की पहचान की थी। लेकिन अहम पूछताछ में उक्त गवाहों ने गवाही दी कि उन्होंने कभी भी किसी दंगाइयों की पहचान नहीं की थी। गवाहों ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी जांच अधिकारी को अभियुक्तों की पहचान के बारे में नहीं बताया था।

 

अदालत ने कहा कि दोनों गवाहों ने स्पष्ट रूप से इनकार किया कि चारों आरोपी दंगा के मौजूदा भीड़ में शामिल थे। यहां तक गवाहों ने यह भी कहा कि वे उन्हें नहीं जानते हैं।

 

गौरतलब है कि दिल्ली की ज्योति नगर पुलिस स्टेशन ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अलग-अलग प्रावधानों के अंतर्गत दिल्ली हिंसा मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था। आरोप पत्र में आग या विस्फोटक पदार्थों से घरों को नष्ट करने के इरादे से बवाल करना, दंगा, घातक हथियार से लैस होकर शरारत करना शामिल है।

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