Hindu-Muslim से छुट्टी मिले तो, NCRB के इन आंकड़ों के देख लीजियेगा, सब समझ में आ जायेगा
नयी दिल्ली: देशभर की जेलों में कुल 4,88,511 कैदी बंद हैं और इनमें से 3,71,848 कैदी विचाराधीन (Undertrial) हैं। विचाराधीन कैदियों में लगभग 20% मुस्लिम हैं जबकि लगभग 73% दलित, आदिवासी या ओबीसी हैं। देश भर में बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि इन में से ज्यादातर गरीब या सामान्य परिवारों से हैं। पीएम मोदी ने राज्यों से अपील की कि जहां भी संभव हो, उन्हें जमानत पर रिहा कर दें।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के 2020 के आंकड़ों के अनुसार देश के सभी जेल कैदियों में से लगभग 76% कैदी विचाराधीन हैं, जिनमें से लगभग 68% या तो निरक्षर हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं। दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की जेलों में विचाराधीन कैदियों का उच्चतम अनुपात 91% पाया गया। इसके बाद बिहार और पंजाब में 85% और ओडिशा में 83% है। जबकि मुसलमान भारत की आबादी का 14% हिस्सा हैं और वे कुल विचाराधीन कैदियों के लगभग 20% और सभी दोषियों के करीब 17% हिस्सा हैं।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार दलित जो भारत की आबादी का 16.6% है, ये सभी विचाराधीन कैदियों का लगभग 21% और सभी दोषियों में करीब 21% हिस्सा हैं। आदिवासी भारत की कुल आबादी का करीब 8.6% हैं। सभी विचाराधीन कैदियों में लगभग 10% और सभी दोषियों में लगभग 14% आदिवासी हैं। भारत में ओबीसी समुदाय की कुल आबादी करीब 41 फीसदी है। विचाराधीन कैदियों में करीब 41% और दोषियों में लगभग 37% लोग ओबीसी समाज से आते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग 30% एक वर्ष से अधिक समय तक जेल में रहते हैं जबकि 65% तीन महीने से पहले रिहा नहीं होते हैं।
सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग 50% पर मानव शरीर के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, दहेज हत्या, अपहरण और हमले जैसे अपराध शामिल हैं। लगभग 20% पर संपत्ति के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है, जिसमें चोरी और घर में तोड़फोड़ जैसे अपराध शामिल हैं।
सभी विचाराधीन कैदियों में से 2,83,556 (76%) पर भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था, जबकि बाकी पर विशेष और स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिसमें शस्त्र अधिनियम, नारकोटिक्स ड्रग और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां शामिल हैं। एसएलएल के तहत आरोपित लगभग 60% विचाराधीन कैदियों को शराब और नशीली दवाओं के अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था।
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