IMPAR LEADERSHIP CONFERENCE : विनीत नारायण बोले मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू गाय के एक्सपोर्टर हैं
Indian Muslims For Progress and Reforms(IMPAR) द्वारा आयोजित Leadership Conference में वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण ने आज के हाल और स्तिथि को देखते हुए सवाल किया कि आज बहुमत में कौन है? और हजारों साल से जब मुसलमान सत्ता में रहे तब भी हिंदू हाशिए पर नहीं आए। इसका मतलब मुसलमान बादशाहो और सुलतान के रहते हुए भी हिंदू आबाद रहा। हिंदुओ की संख्या ठीक रही, उसके साथ ही उसकी संस्कृति और धन बचा रहा।
एकता और अनेकता का उदाहरण देते हुए विनित नारायण कहते है कि, “पिछले कुछ सालों में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के युवाओं ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है।” वहीं आज़ादी और विभाजन की ओर प्रकाश डालते हुए नारायण कहते हैं कि जब तक विभाजन के बारे में घोषणा नहीं हुई थी तब पाकिस्तान और हिंदुस्तान में कोई कम्यूनल (Communal Riot) हिंसा नही हुआ था। यह सारा फसाद बंटवारे के नाम पर शुरू किया गया।
इतना ही नहीं, विनित नारायण यह भी कहते है कि विभाजन के समय की ऐसी ऐसी कहानियां हैं, जिस से दिल दहल जाता है। जिसके बाद मैं उन लोगो से सवाल करना चाहता हूं जो कहते है कि हिंदू और मुसलमान कभी एक साथ रह ही नहीं सकते। जबकि मैं उन्हे बता दू कि इतने समय से हमारी तहजीब, लिटरेचर, पेंटिंग इन सब से पता चलता है कि सब में कितना संश्लेषण था।
विनित नारायण ने मुसलमानो की स्तिथि बताते हुए कहा कि आज मुसलमानो की तादाद फौज में, अधिकारी तंत्र में, पढ़ाई और लिखाई में ज्यादा नहीं है। इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि केवल मुसलमान ही हैं। जबकि सरकार ने भी इन की भलाई के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया। सरकार चाहती है कि इनकी स्तिथि ऐसी ही बनी रहे, वे दकियानूसी और बेपढ़े (जाहिल) रहे ताकि इनके वोट से राजनीति कर सकें।
बाबरी मस्जिद और उस से संबंधित दंगो के बारे में बात करते हुए विनित नारायण ने कहा कि, “जब 1992 में बाबरी मस्जिद को ले कर पूरे देश भर में दंगे हो रहे थे तब मुरादाबाद में कोई भी दंगा नहीं हुआ था। न हिंदू एक्सपोर्टर ने दंगे किए और न ही मुसलमान कारीगरों ने। क्योंकि उन्होंने इतिहास से सबक सीख लिया था। उन्हे पता था कि दंगो से पेट पर लात पड़ती है। और इसका नतीजा यह निकला कि आज मुरादाबाद में हिंदू से ज्यादा मुसलमान एक्सपोर्टर है। उनका धन कई गुना बढ़ गया। अगर वह भी इस सियासत में फंस गए होते तो मुरादाबाद भी सन् 80 से कई दशक पीछे चला गया होता।”
अंत में संबोधन को समाप्त करते हुए विनित ठाकुर ने कहा कि, “हम सब वह कटपुतलियां है जो सरकार के इशारों पर नाचती है। जिस दिन हमने अपने मन कि की, हमें सड़क का रास्ता दिखा दिया जाएगा। हालात न पहले बुरे थे न आगे बुरे होंगे वह भी एक दौर था, यह भी एक दौर है। गुज़र जाएगा।”
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