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IMPAR के Leadership Conference में डॉक्टर जफरूल इस्लाम ने यह दिए सुझाव

IMPAR की और से एक Leadership Conference का आयोजन किया गया था। यह कांफ्रेंस 2 अप्रैल को सुबह 9 : 30 से शाम 4 : 30 तक चली। इस कांफ्रेंस में कई बड़ी बड़ी शक्षियत को देखा गया, जिसमे डॉक्टर जफरूल इस्लाम भी शामिल थे।

By: Saima Parveen

IMPAR के Leadership Conference में डॉक्टर जफरूल इस्लाम ने यह दिए सुझाव

 

IMPAR की ओर से "IMPAR Leadership Conference" का आयोजन किया गया। यह Conference 2 अप्रैल को सुबह 9 : 30 से शाम 4 : 30 तक चली। इस Conference में कई बड़ी बड़ी शक्षियत को देखा गया, जिसमे डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान भी शामिल थे।

 

 

 

 

 

इस कांफ्रेंस में डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान ने कम्युनिटी के आंतरिक मुद्दो को उठाया और उस पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर उन्हों ने कहा कि, “इन सभी मुद्दों में से सबसे महत्वपूर्ण सियासी सूरत ए हाल है। आज हम अपने आप को एक कोने में खड़ा पाते हैं।”

 

 

 

 

 

इतना ही नहीं, उनका यह भी कहना है कि आज हमारे सामने कई प्रकार की मुश्किलें है। लेकिन उसका कोई हल नहीं है। हिंदुत्व की नफरत ने हम लोगो को एक दम अलग थलग कर दिया है।

 

 

 

डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम इतिहास की ओर ले जाते हुए कहते हैं कि, “ऐसी स्तिथि अचानक नहीं हुई है बल्कि हमारे मसाइल 1857 से शुरू होते है। जब से साम्राज्यो ने हमे गदर का जिम्मेदार ठहराया, दिल खोल कर हमे कत्ल किया, घरों और इलाको से हमे निकाल दिया, जायदाते छीन की और हमे हाशिए पर ला कर खड़ा कर दिया।”

 

 

 

 

 

डॉक्टर जफरूल इस्लाम ने संघर्ष के दौरान सर सैयद अहमद खान के नेतृत्व और उनके किरदार की तारीफ करते हुए कहा कि इस दौरान एक मर्द ए मुजाहिद सैयद अहमद खान खड़ा हुआ। उन्होंने एक तरफ अंग्रेजो का गुस्सा ठंडा किया और दूसरी तरफ मुसलमानो को वह वाहिद रास्ता दिखाया जो मौजूदा दौर में तरक्की के लिए सबको मेअस्सर है, यानी तालीम का रास्ता।”

 

 

 

उन्हे जूते चप्पलों से भी मारा गया, परंतु उन्होंने हार न मानी और सन् 1875 में अलीगढ़ में एक विश्विद्यालय की बुनियाद डाली। यह कॉलेज सन् 1920 में एक यूनिवर्सिटी में बदल गया और समय के साथ देखते देखते इस तरह की और यूनिवर्सिटी भी बनी। जिसके बदौलत मुसलमान अपने पांव पर खड़े होने लगे।

 

 

 

 

 

डॉक्टर जफरूल इस्लाम ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि हमारे अंदर ऐसी कोई आदत नहीं थी जो हमें तालीम और माशियात की और मोड़ती। नतीजतन हम सिर्फ जज़्बाती सियासत का शिकार हो कर इस बंगली से उस बंगली तक का चक्कर लगाते रहे। और आज भी हम उस मंजिल से दूर हैं। इतना ही नहीं, मुसलमानो की तरक्की पर डॉक्टर खान ने अपने विचार रखे और कहा कि, “अगर आज मुसलमान ने कोई तरक्की की है तो वह अफरात की अपनी सूझ बूझ की।”

 

 

 

डॉक्टर जफरूल इस्लाम यह भी कहते हैं कि आज हमारी उलूमी हालत यह है कि दीगर अकवाम की बनिस्बत हम में अखलाकी अब्तरी ज्यादा है। झूठ बोलना, अमानत में ख्यानत करना, वादा ए खिलाफी करना हमारी आदत बन चुकी है। और यही वह आदतें हैं जिनके बारे में रसूलललाह सल्ललाह अलैह वसल्लम ने 1500 साल पहले बयां किया था।

 

 

 

 

 

अंत में अपना संबोधन समाप्त करते हुए डॉक्टर जफरूल इस्लाम ने कहा कि अगर हमे अपनी नस्लों के बारे में कुछ फिक्र है और हम अपनी नस्लों की भलाई चाहते हैं तो हमें इन बातों पर संजीदगी से गौर करना होगा। और अपने इसलाह का एक संजीदा प्रोग्राम बनाना होगा।

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