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जमाअत इस्लामी हिन्द की आरटीआई में हैरतनाक जानकारी का खुलासा

पुरातत्व विभाग के तहत ऐतिहासिक इमारतों का प्रबंधन असुरक्षित, देशभर के ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़ों में से एक साल में केवल 2 क़ब्ज़े हटाए गए

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो

नई दिल्ली, 22 जुलाई 2019 हिन्दुस्तान में वक़्फ और पुरातत्व विभाग के प्रबंधन के तहत मस्जिदों और ऐतिहासिक इमारतों के अस्तित्व और संरक्षण के लिए जमाअत इस्लामी हिन्द लगातार प्रयासरत है। जमाअत के राष्ट्रीय एवं सामुदायिक विभाग के सहायक सचिव इन्तिज़ार नईम ने गत कुछ वर्षों में प्रमुख सामुदायिक, सामाजिक और राष्ट्र से संबंधित मामलों में केंद्रीय मंत्रालायों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित  प्रदेशों को लगभग 1400 आरटीआई प्रेषित किया। इसके अधिकतर जवाब प्राप्त हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या वक़्फ से संबंधित उन आरटीआई की है जो तमाम राज्यों के वक़्फ बोर्डों और पुरातत्व विभाग को भेजी गयी हैं।

जमाअत इसलामी की हमेशा से कोशिश रही है कि पुरातत्व विभाग के प्रबंधन के तहत मस्जिदों में पांचों वक़्त की नमाज़ों की व्यवस्था हो और विभाग द्वारा लगाया गया प्रतिबंध सामाप्त हो। ऐसी सहुलत हासिल होने तक जमाअत की ओर से पुरातत्व विभाग के अनुमंडलिय कार्यालयों पर लगातार यह दबाव बनाया जाता रहता है कि विभाग के प्रबंधन के तहत मस्जिदों की पूरी सुरक्षा हो और उसके अंदर या आसपास की क़ानूनी सुरक्षा प्राप्त इलाक़ों में अवैध और ग़ैर-क़ानूनी तरीके से किए गए निर्माण ध्वस्त हों, ताकि विभाग द्वारा प्रबंधन के तहत मस्जिदों व अन्य ऐतिहासिक इमारतों की सही अर्थों में सुरक्षा हो सके।

जमाअत के सहायक सचिव इन्तिज़ार नईम ने हाल ही में पुरातत्व विभाग के दिल्ली सर्किल के उप निदेशक से मुलाक़ात कर इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और सर्किल के प्रबंधन के तहत मस्जिदों और ऐतिहासिक इमारतों की दुर्दशा पर विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने विभाग के उपनिदेशक को बताया कि खुद विभाग की तरफ से जमाअत को यह जानकारी उपलब्ध करायी गई है कि नई दिल्ली का महत्वपूर्ण इलाका हौज़ ख़ास में विभाग के संरक्षण में कंप्लेक्स की ऐतिहासिक इमारत में 27 अवैध निर्माण कर लिया गया है, लेकिन विभाग उसे ध्वस्त करने में असमर्थ है। संबंधित अधिकारी ने यह असमर्थता जतायी कि विभाग अपने स्तर पर अवैध क़ब्ज़ा करने वालों को नोटिस देने के साथ ही प्रशासन से संबधित विभागों और उपायुक्त (राजस्व) को ध्वस्त करने के लिए नोटिस भेजता और आदेश देता है, इसलिए कि पुरातत्व अधिनियम के अनुसार विध्वंस करने का अधिकार पुरातत्व विभाग को न हो कर उपायुक्त (राजस्व) को है।

लेकिन व्यवहारिक सूरतहाल यह है कि पुरातत्व विभाग के प्रबंधन के तहत देशभर के 116 मस्जिदों, ऐतिहासिक इमारतों और मंदिरों मे से केवल ताजमहल सर्किल के सुरक्षित इलाका (Protected and Regulated Area) में इस समय 178 अवैध निर्माण मौजूद हैं।

आगरा में ताजमहल जैसे विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत से पुरातत्व विभाग को 2014 में लगभग 22 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, लेकिन अफसोस की बात यह है कि ताजमहल कंप्लेक्स के चारों तरफ अवैध निर्माण में लगातार इज़ाफा होता रहता है। जमाअत के लगातार ध्यान दिलाने के बावजूद पुरातत्व विभाग का आगरा सर्किल अन्य सरकारी विभागों को नोटिस देने की खानापूरी करने के अलावा संदेहास्पद चुप्पी साधने के सिवा कुछ नहीं करता। उसके आरटीआई जवाबों से यह भी स्पष्ट नहीं होता कि उसने सरकारी विभागों को कार्रवाई करने के लिए बारबार याद दिलाया हो!

हैरत और अफसोसनाक तौर पर विगत लंबी मुद्दत के दौरान केवल 2018 में मात्र हैदराबाद में दो अवैध निर्माण के विध्वंस की सूचना दी गयी है।

इस चिंताजनक सूरतहाल से स्पष्ट होता है कि अगर पुरातत्व के बहुमूल्य विरासत के साथ पुरातत्व विभाग और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय का यही सलूक रहा तो उनकी सुरक्षा की गंभीर समस्या पैदा हो जाएंगी। हैरत है कि विभाग के प्रबंधन के तहत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मस्जिदों की सुरक्षा से विभाग (और सरकार) खुद तो बेपरवाह हैं, मगर इन्हें मुसलामानों के हवाले करने के लिए तैयार नहीं हैं कि मस्जिदों को नमाज़ों से आबाद किया जाए और हकूमत के सहयोग से उनकी सुरक्षा भी की जाए।

उम्मीद है देशभर के वक्फ़ काउंसिल, केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग और मुस्लिम सांसद एवं विधायक और मुस्लिम संगठन और महत्वपूर्ण मुस्लिम व्यक्तित्व इस अहम समस्या के हल की तरफ आकृष्ट होंगे और सरकार को आवष्यक कार्रवाई के लिए तैयार करेंगे।

 

द्वारा जारी,  मीडिया प्रभाग, जमाअत इस्लामी हिन्द

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