जब 2014 में ही केंद्र की मोदी सरकार ने सत्ता संभाल लिया था और 2014 में ही हज पालिसी में सऊदी सरकार ने बदलाव करते हुए बगैर मेहरम के हज की अनुमति दे दी थी, तो फिर मोदी सरकार को भारत की हज पालिसी में बदलाव में 03 साल क्यों लग गए यह अहम सवाल है. मोहम्मद अहमद नई दिल्ली, वतन समाचार ब्योरो: हज 2018 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं. इस बीच हज 2018 को लेकर जो सबसे बड़ी बात चर्चा में है वह यह कि पहली बार हिंदुस्तान से बगैर मेहरम (पति या वह पुरुष रिश्तेदार जिनसे महिला के संबंध हराम हैं, उन्हीं के साथ महिला हज सफर कर सकती है) के हज पर जाने की चर्चा बड़े जोरो-शोर से हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसंबर 2017 को अपने मन की बात में भी इस बात का उल्लेख करते हुए कहा था कि बगैर महरम के महिलाओं का हज पर जाना उनकी सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी है. इस बीच इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से जो सबसे बड़ी खबर सामने आई है वह यह कि हज 2018 से पहले ही सऊदी सरकार ने बगैर महरम के महिलाओं को हज पर जाने की अनुमति दे दी थी और बगैर मेहरम के हज पर महिलाओं को भेजने में भारत सरकार को 3 साल तक अध्ययन करना पड़ा, जबकि 2014 में ही सऊदी अरब ने बगैर मेहरम के महिलाओं को हज पर जाने की अनुमति दे दी थी. 2014 के सऊदी के फैसले में इस बात का उल्लेख किया गया है कि महिला की आयु अगर 45 साल या उससे अधिक है तो वह 4 या उससे अधिक समूहों में बगैर पुरुष रिश्तेदारों (पति या वह पुरुष रिश्तेदार जिनसे महिला के संबंध हराम हैं) उनके साथ वह हज पर जा सकती है. 2014 में जब सऊदी अरब ने अपनी सालाना हज पॉलिसी/ हज गाइड लाइन को अपग्रेड किया था उस वक्त इस बात की अनुमति दी गई थी, जबकि इससे पहले महिला को बगैर मेहरम के हज पर जाने की अनुमति नहीं थी. ज्ञात रहे कि पिछले साल (अक्टूबर 2017) केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने एक हाई पावर कमेटी का गठन करके हज पॉलिसी को अपग्रेड करने की कोशिश की थी, जिसमें बगैर महरम के महिलाओं को हज पर जाने की अनुमति देते हुए कहा गया था कि अगर महिला की आयु 45 साल है तो वह 4 या उससे अधिक समूहों में हज पर जा सकती है.
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