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"कमल का फूल हमारी भूल"

तारिक अनवर मंच गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है। महात्मा गांधी और सरदार पटेल के राज्य में 9 और 14 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से खिसियाई हुई है. गुजरात में अपनी खिसकती जमीन को देखते हुए मोदी और भाजपा ने खुद को गुजरात की गरिमा से जोड़ने की कोशिश की है. अगर देखा जाए तो भाजपा नेताओं के सामने आये ऑडियो और बयान, से यह स्पष्ट है कि मोदी और भाजपा को गुजरात से अच्छी खबर 18 दिसंबर को नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री की ऑडियो (हम उस की पुष्टि नहीं करते) से पता चलता है कि भाजपा राज्य में हार सामने देख रही है. स्वयं ऑडियो में रूपानी, यह कह रहे हैं कि 'स्थिति खराब है' इस बीच विकास पागल हो गया है के संदर्भ में गुजरात विकास की पूरी सच्चाई सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसकती नज़र आ रही है। यही वह गुजरात है जिस का विकास मॉडल नरेंद्र मोदी ने 2014 में पूरे देश और दुनिया में बेचने की कोशिश की और उसे भुनाया। इसी गुजरात से रवीश कुमार ने विकास की जो तस्वीर कुछ महीने पहले पेश की थी वह यह बताने के लिए पर्याप्त है कि गुजरात विकास के क्षेत्र में ऊपर से पहले पायदान पर है या फिर नीचे से पहले पायदान पर. धीरे धीरे यह सामने आ रहा है कि कैसे गुजरात न केवल ऋण के बोझ तले दबा हुआ है बल्कि गुजरात में लोग बेहद लाचारगी, कसमपुर्सी और बेचारगी की हालत में भी जी रहे हैं। गुजरात के संदर्भ में 'विकास पागल हो गया' है के जरिये विकास की वास्तविकता सामने आने के बाद गुजरात के लोगों से BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से माफी मांगने के बजाये उन्हें मूर्ख बनाने का ही प्रयास किया. अब भाजपा कह रही है कि विकास कांग्रेस के लिए मजाक हो सकता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए आत्मविश्वास और विश्वास का मामला है। अगर इसमें सच्चाई है तो क्यों भाजपा सांप्रदायिकता और घृणा को हवा देने में विश्वास रखती है, क्यों नहीं लिंचिंग से लेकर देश में नफरत फैलाने की जो घटनाएं हुई हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी और मनुष्य की तुलना कुत्ते के बच्चे से करने वाले मंत्रियों को नहीं हटाया गया? क्यों उन मंत्रियों को मोहलत दी गई जिन पर बलात्कार के आरोप थे और pm मोदी के उस वादे का क्या हुवा कि एक साल में दागी सांसदों के मुकदमों का फैसला होगा।  गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की बौखलाहट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने न केवल अपनी पूरी पार्टी बल्कि अगर मीडिया रिपोर्टों पर विश्वास करें तो 50 मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, आरएसएस प्रचारकों को मैदान में उतारने की कोशिश हुई है।
BJP की बौखलाहट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मीडिया रिपोर्टों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी जादूगरों का सहारा लेने के लिए मजबूर हो गई है और जादूगरों के माध्यम से लोगों के मन में विकास का एजेंडा डालने की कोशिश हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा द्वारा पेश किया जाने वाला गुजरात का विकास अगर पागल नहीं हुआ है और जिस गुजरात के विकास मॉडल को पिछले 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी द्वारा बेचने की कोशिश हो रही है तो इस पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश वासियों को यह जवाब देना चाहिए कि उन्हें यह जरूरत क्यों पेश आ गई है कि वह मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 50 मंत्रियों भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के लीडरों और आर एसएस पर्चारकों को मैदान में उतारें। जिस तरह का प्रचार और रणनीति भाजपा गुजरात चुनाव में अपना रही है वह BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बौखलाहट का खुला सबूत है. इस से यह स्पष्ट है कि भाजपा गुजरात हार रही है. इन सब बातों के बीच महत्वपूर्ण बात यह है जिस पर विपक्ष को ध्यान देना होगा कि जिस तरह से यूपी में हो रहे निगम चुनाव में EVM में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की बातें मीडिया द्वारा सामने आ रही हैं इस पर गुजरात में पूरी तरह लगाम लगे यही कारण है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि ईवीएम का देख कर भी विरोध नहीं और पद्मावती का बिना देखने विरोध है।
गुजरात में नरेंद्र मोदी इस कदर बेबस दिख रहे हैं कि उन्होंने खुद को गुजरात की गरिमा के साथ जोड़ने की कोशिश की है. खुद को गुजरात का बेटा कहने पर मजबूर हो गए हैं, वह लोगों को भावनात्मक बनाने की कोशिश कर रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी उपलब्धियों गिनाने के बजाय अब उल्टे अपनी असफलताओं का ठीकरा विपक्ष और कांग्रेस पर आरोप मढ़ कर फोड़ रहे हैं।
अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई नोट बंदी उतनी ही सफल थी तो वह इस के नाम पर कियों नहीं वोट मांग रहे हैं। उन्हें देशवासियों को यह बताना चाहिए कि उन्होंने हर साल 2-3 करोड़ लोगों को रोजगार देने का जो वादा किया था अब तक 3 वर्षों में 6-9 करोड़ लोगों को रोजगार दिया या नहीं। सच यह है कि उन्होंने लोगों से नौकरियां छीनी हैं। नरेंद्र मोदी को लोगों को बताना चाहिए कि उनकी सरकार का मक़सद लोगों का विनाश हैं।
पश्चमी उत्तर प्रदेश BJP कार्यालय से एक व्यक्ति को एक महिला द्वारा फोने कर के बीजेपी की रैली में आने के लिए कहा जाता है। यह फोन भी किसी खान को नहीं बल्कि कुमार को आता है और उस व्यक्ति से भाजपा की रैली में आने के लिए कहा जाता है। वह व्यक्ति, भाजपा की रैली में आने के बजाय, महिला को भाजपा का नाम तक ना लेने की नसीहत दे डालता है।
PM मोदी को यह बताना चाहिए कि नोट बंदी उन की सरकार की गलती थी और उस ने लाखों लोगों की नौकरियां छीन लीं और अब तक लोग उस से परेशान हैं। भारतीय जनता पार्टी और मोदी को लोगों को यह बताना चाहिए कि क्या यही सपना उन्होंने लोगों को दिखाने का वादा किया था. मोदी आधार कार्ड के सबसे ज्यादा विरोधी रहे हैं. उन्हों ने सार्वजनिक मंच पर आधार कार्ड के लिए कांग्रेस पार्टी का मजाक बनाया, लेकिन प्रधान मंत्री बनने के बाद, नरेंद्र मोदी आधार कार्ड के सबसे बड़े वकील बन गए। इसलिए, गुजरात के लोगों को मोदी को जवाब देना चाहिए। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि लोगों ने बिल बुक पर लिखवा रखा है कि "कमल का फूल हमारी भूल" (तारिक़ अनवर वरिष्ठ पत्रकार, सांसद और भारत सरकार के पूर्व मंत्री हैं, और लेखक के यह व्यक्तिगत विचार हैं, और लेखक के विचारों से ‘वतन समाचार’ की सहमती जरूरी नहीं है।)

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