नई दिल्ली:05 दिसम्बर, प्रेस रिलीज़: राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य और जेडीयू के संस्थापक "बानी" नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता समाप्त किए जाने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, लोकसभा में पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर ने सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि शरद यादव की सदस्यता समाप्त करना मुनासिब नहीं है.
उन्होंने मीडिया को जारी अपने बयान में दोनों नेताओं की राज्यसभा सदस्यता रद्द करने की कड़े शब्दों में आलोचना की है. उन्हों ने कहा कि जिस तरह से शरद यादव को हटाने की कोशिश हुई वह सही नहीं हैं। उन्हों ने कहा कि शरद यादव न केवल वरिष्ठ सदस्यों में से एक हैं बल्कि उन्होंने बेहतरीन सांसद होने का गौरव भी अपने नाम किया है. उन्हों ने कहा कि शरद यादव 11 बार लोकसभा और राज्यसभा (दोनों सदनों) में अपनी खिदमात अंजाम दे चुके हैं और 14 बार चुनाव लड़ा है.

तारिक अनवर ने कहा कि शरद यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए जो तर्क दिए जा रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि शरद यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए तर्क दिए गए कि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ काम किया है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. तारिक अनवर ने कहा कि अगर पार्टी लाइन के खिलाफ काम करने की बात है तो इसके मुजरिम नितीश कुमार हैं, ना कि शरद यादव. उन्होंने कहा कि महा गठबंधन के नाम पर नितीश कुमार ने वोट लिया था और BJP के विरुद्ध उन्होंने जनता से वोट मांगे थे. उन्होंने कहा कि जनता ने नितीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर करने के लिए दिया था.
उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो नितीश कुमार ने मैंडेट की तौहीन की है. इसलिए पार्टी लाइन के खिलाफ नितीश कुमार गए हैं और कार्यवाही उनके खिलाफ होनी चाहिए. तारिक अनवर ने कहा कि अली अनवर अंसारी की सदस्यता भी खत्म करना बिल्कुल ठीक मालूम नहीं होता है. उन्होंने कहा कि शरद जी की सदस्यता के मामले में सदन को गंभीर विचार करना चाहिए, और इस सिलसिले में सदन में ही कोई फैसला होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों की एक समिति गठित की जानी चाहिए जो कमेटी इस संबंध में फैसला ले.
उन्हों ने कहा कि जेडी(यू) का बड़ा धड़ा शरद यादव के साथ है और राज्यसभा अध्यक्ष को सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए! उन्होंने कहा कि शरद यादव या अली अनवर के मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले जो भी निर्णय हो वह हाउस के सामने होना चाहिए न कि अकेले में कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।