माॅब लिंचिंग में दिन प्रतिदिन इज़ाफे पर पाॅपुलर फ्रंट ने जताई चिंता
पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया के चेयरमैन ई. अबूबकर ने नई बीजेपी सरकार के आते ही विभिन्न राज्यों में मुस्लिम विरोधी हिंसा में इज़ाफे पर चिंता व्यक्त की है।
चुनाव के परिणाम सामने आने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यकों के अंदर से भय को दूर करने और उनका भरोसा जीतने का यक़ीन दिलाया था, लेकिन हिंदुत्व गुंडों के द्वारा माॅब लिंचिंग की वारदातें आए दिन बढ़ती ही जा रही हैं। बीजेपी की बड़ी जीत के बाद विभिन्न राज्यों से मुस्लिम मुसाफिरों और मज़दूरों पर हमले और हत्या की ख़बरें लगातार आ रही हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरीकी विदेश मंत्रालय की 2018 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को रद्द किया है, जो यह बताती है कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है। 24 वर्षीय तबरेज़ अंसारी नामक झारखण्ड के एक मुस्लिम युवक की साम्प्रदायिक जुनूनियों द्वारा बेरहमी से पिटाई के कारण मौत हो गई। इस तरह की वारदातों को सिर्फ माॅब लिंचिंग का नाम देना गुमराह करने वाली बात है। हमलावर संघ परिवार से संबंध रखते हैं या कम से कम वे उनकी मुस्लिम विरोधी मानसिकता से प्रभावित होते हैं। इस तरह के हमलों को अंजाम देने वाले हिंदुत्व के लोग बहुत ही संगठित और हथियारबंद होते हैं और उन्हें शासक वर्ग की तरफ से सुरक्षा और माफी हासिल होती है। यह अपराधी, पीड़ितों को जय श्रीराम बोलने पर मजबूर करते हैं। उनकी इस मांग को पूरा के बावजूद तबरेज़ अंसारी को लगातार बेरहमी से पीटा गया। सरकार जो छोट-छोटे मामलों पर भी तुरंत प्रतिक्रिया देती है, वह मुसलमानों पर हिंदुत्व हमले के मामले में बिल्कुल खामोश हो जाती है। एक तरफ मोदी ने राजस्थान के बारमर क्षेत्र में रामकथा के पिंडाल के गिरने पर तुरंत प्रतिक्रिया जताई, लेकिन दूसरी तरफ मुसलमानों पर लगातार हो रहे हमलों पर वह बिल्कुल खामोश हैं।
दूसरी ओर विपक्ष भी सेक्युलर सिद्धांतों की परवाह न करते हुए मुसलमानों की सुरक्षा की समस्या को हल करने और इस पर बात करने से भी हिचकिचाता है। ई. अबूबकर ने खबरदार करते हुए कहा कि सरकार की यह संवैधानिक ज़िम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे, वर्ना पूरा देश अफरा-तफरी का शिकार हो जाएगा।
डाॅ॰ मुहम्मद शमून
डायरेक्टर, जनसंपर्क
मुख्यालय, पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया
नई दिल्ली
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