नई दिल्ली : हस्सास और संवेदनशील सरकारी दस्तावेजात के लीक होने से परेशान मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, और अदालत को अपनी चिंता से अवगत कराया है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि कुछ ‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारियों’ द्वारा कुछ संवेदनशील और संरक्षित दस्तावेज को निजी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, और इनके आधार पर याचिकाएं दायर की जा रही है।
सरकार ने कोर्ट के समक्ष कहा कि सीबीआई, कैबिनेट नोट सहित कई संवेदनशील व अहम दस्तावेज के आधार पर जनहित याचिका दायर करना बेहद गंभीर मसला है। लिहाजा इन दस्तावेज के आधार पर जनहित याचिका दाखिल करने की प्रथा पर विराम लगना चाहिए।
कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पर विचार करने का निर्णय लिया है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियां भी संवेदनशील दस्तावेज को संरक्षित करने में नाकाम हो रही हैं। पीठ ने सवाल किया क्या आपने इस संबंध में किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार इसे लेकर बेहद गंभीर है.
वेणुगोपाल ने यह बात अगस्ता वेस्टलैंड मामले की सुनवाई के दौरान इस याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें अगस्त 2007 के राज्य सरकार के कैबिनेट नोट सहित अन्य दस्तावेज को शामिल किया गया है। कई बार तो सीबीआई आदि के पूरे दस्तावेज याचिका के साथ संलग्न होते हैं। इन दस्तावेज की प्रतिलिपि हासिल कर एक के बाद एक जनहित याचिकाएं दायर की जा रही हैं।
वेणुगोपाल ने कहा कि सरकारी दस्तावेज की प्रतिलिपि हासिल करना आईटी एक्ट के तहत अपराध है। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एक अज्ञात व्यक्ति यह दस्तावेज उनके घर पहुंचा गया था। उन्होंने सुनवाई के दौरान पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की डायरी लीक मामले का जिक्र किया।