जामिया आरिफिया सय्यद सरावां इलाहाबाद में अध्यापकों और मदरसे से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन (लखनऊ) के अध्यक्ष मोहम्मद तारिक़ सिद्दीकी ने मदरसों पर निशाना साधने वालों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि जो लोग मदरसों पर निशाना साधते हैं उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि उन्होंने मदरसों को क्या दिया है? उन्होंने कहा कि अगर आपके पास कोई ज्ञान या हुनर है. उसे आप मदरसे के लोगों को सिखाना चाहते हैं और अगर मदरसे के लोग मना करते हैं तो यह उनका क़ुसूर है.
आप कभी मदरसे नहीं गए, उनको कुछ दिया नहीं और आप मदरसे वालों को कोसने लगते हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह मदरसे वालों का कमाल है कि समाज के सब से कमज़ोर बच्चे को वह हाफ़िज़ ए क़ुरआन बनाते हैं. उन्होंने कहा कि तमिलियन ब्राह्मण भारत में सबसे ज्ञानी माने जाते हैं, लेकिन एक 11 साल का हाफिज उनसे ज़्यादा ज्ञानी होता है. ख़ुशी की बात यह है कि तमिलियन ब्राह्मण को समय पर सही दिशा मिल जाती है और हाफिज दिशा ना मिलने के कारण उस स्थान पर नहीं जा पता जहां जाना चाहिए जो दुःख की बात है.
मदरसे के बच्चों को रिसर्च के क्षेत्र में आगे आने की अपील करते हुए श्री तारिक़ ने कहा कि अब समय आ गया है कि मदरसे के बच्चे हाफ़िज़ और मौलवी होने के साथ साथ रिसर्च के क्षेत्र में आगे आएँ. उन्होंने समाज के लोगों से भी अपील की इस समाज के लोग मदरसे के बच्चों की सेवा और सहयोग के लिए आगे आए. उन्होंने कहा कि हमें मिल करके एक दूसरे को सही दिशा में ले जाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि मदरसे के बच्चों के पास दीन होता है जबकि मॉडर्न स्कूल के बच्चों के पास दीन का भंडार नहीं होता है. उन्होंने कहा कि अगर मदरसे के बच्चे दीन के साथ साथ दुनिया की शिक्षा भी प्राप्त कर लेंगे तो उनका कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता है.
श्री तारिक़ सिद्दिकी ने कहा कि हर वो इल्म दीन है जो मानव जाति के लिए लाभदायक हो और हर वो ज्ञान जो समाज के लिए हानिकारक हो वह दीन नहीं हो सकता है. जब मदरसे के लोगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवा तो उस वक़्त यूरोपियन यूनिवर्सिटीज़ में उनका ड्रेस मॉडर्न ड्रेस माना जाता था, लेकिन जब उन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी को छोड़ दिया तो आज फिर वो अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें कासा लेकर भीख माँगने वाली क़ौम नहीं बल्कि देने वाली क़ौम बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो भी क़ौम समाज के लिए लाभदायक होती है अल्लाह उसे बढ़ाता है, इसलिए हमें ख़ुद को समाज के लिए लाभदायक बनाना चाहिए.
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