इस अवसर पर जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सराहना की गयी वहीं दूसरी ओर मुसलमानों की आर्थिक कमजोरी पर चिंता भी व्यक्त की गयी.
प्रोफेसर रजा उल्लाह ने मुज़म्मिल कॉम्प्लेक्स में आयोजित "विश्व दिवस अल्पसंख्यक अधिकारों की संगोष्ठी" में बोलते हुए कहा कि संविधान की धारा 25 के अनुसार देश के हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उस के प्रचार का उसे अधिकार है, लेकिन वर्तमान में उनके इस अधिकार का हनन हो रहा है. उन्हों ने कहा कि आज मुसलमानों की आर्थिक स्थिति बदतर होती जा रही.
उन्हों ने सरकार से मांग की कि केंद्र सरकार मुसलमानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए.
मुस्लिम चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के निदेशक डॉ जसीम मोहम्मद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत के तहत देश लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन केंद्र को अल्पसंख्यकों खास कर मुसलमानों की आर्थिक मजबूती के लिए विशेष योजनाएं शुरू करनी चाहए. उन्हों ने कहा कि मुसलमानों की बड़ी आबादी छोटे और घरेलू उद्योगों से जुडी है, इसलिए केंद्र को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर जसीम मोहम्मद ने कहा कि अगर कोई समाज पिछड़ा रह जाता है तो इससे देश का विकास प्रभावित होता. उन्होंने कहा कि संविधान में धारा 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यक अपने शिक्षक संस्थान स्थापित कर सकते हैं और चला सकते हैं, मगर उत्तर प्रदेश में उर्दू मीडिय स्कूलों को मंजूरी नहीं मिलती है, जिस से संविधान का उलंघन हो रहा है. इस की अनुमति मिलनी चाहिए।
डॉ मोहम्मद फुरकान ने कहा कि हिंदु जागरण मंच जैसे संगठन, जो स्कूलों में हस्तक्षेप करते हैं, और स्कूलों में क्रिसमस पर बवाल मचाते हैं, जो हमारी सभ्यता का हिस्सा नहीं है, इन पर लगाम लगना चाहिए।
डा फातिमा ज़हरा ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अपने अधिकार प्राप्त करने का अधिकार मिलना चाहिए वरना देश पिछड़ जायेगा, इसलिए संविधान में दिए गए अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
डा जमाल अंसारी ने कहा कि कुछ लोग उच्च पदों पर बैठते हैं और नफरत का प्रदर्शन करते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि देश का संविधान सर्वोच्च और सबसे उन्नत है.
संगोष्ठी के अंत में, संकल्प पत्र पारित किया गया कि केंद्र सरकार को मुसलमानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए विशेष योजनायें शुरू करनी चाहिए।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में व्यवसाय, बुद्धिजीवियों और अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने शिरकत की, जिस में दिलशाद कुरैशी और शाहिद के नाम क़ाबिले ज़िक्र हैं।
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