गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब उसका आंकलन शुरू हो गया है. आज तक डॉट इन ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि गुजरात में मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कवच देकर उनकी सत्ता बचा ली है. आज तक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता बचाने में मुसलमानों का सबसे बड़ा रोल है.
रिपोर्ट के अनुसार मुसलमान अक्सरियती सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जगह अगर कांग्रेस पार्टी मुसलमान जिसके परम्परागत वोटर हैं जीत जाती तो, वह सीटें न सिर्फ बीजेपी से निकल जातीं बल्कि सत्ता भी पूरी तरह बीजेपी से निकल जाती और राहुल की जय जयकार होती.
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व उन्हें ले डूबा और मुसलमानों ने कांग्रेस पर विश्वास न करके भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास किया. राज्य में बीजेपी को बहुमत से सात सीटें ज्यादा मिली हैं. जबकि 10 से 12 सीटें ऐसी रही हैं, जहां मुस्लिम मतों के सहारे बीजेपी ने जीत हासिल की. रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के पक्ष में 18 से 22 फीसदी मुस्लिम वोट पड़े जिनके सहारे बीजेपी गुजरात में जीत सकी.
मुस्लिम विधायक भी जीते
राज्य में 9 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. करीब दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम जीत और हार का फैसला करते हैं. इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इनमें से तीन इमरान खेड़ा, जावेद पीरजादा और ग्यासुद्दीन शेख जीतने में सफल रहे. यह कांग्रेस के टिकट पर जीते. जबकि 2012 के चुनाव में सिर्फ 2 मुस्लिम विधायक जीते थे.
गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जया प्रकाश प्रधान का कहना है सौराष्ट्र, दक्षिणी गुजरात के मुसलमानों में बीजेपी ने अपनी जगह बनाई है, जिसके चलते कुल मुस्लिम वोटों का 20-25 फीसदी वोट उसे मिला है. गुजरात कारोबारियों का राज्य है. बीजेपी सरकार ने कारोबार के लिए नीतियां बनाई हैं. इसका फायदा मुस्लिमों को भी मिला है. अहमदाबाद का क्षेत्र सबसे ज्यादा दंगों की चपेट में था. इसीलिए इस इलाके के मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं करते.
'मुसलमान को सुरक्षा और विकास चाहिए'
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सूफी महबूब अली चिस्ती का कहना है कि, 'मुसलमानों को सुरक्षा और विकास चाहिए, जो मुसलमानों को मिल रहा है. पिछले 15 साल में बीजेपी के राज में गुजरात दंगा और कर्फ्यू मुक्त बना है, जबकि कांग्रेस के दौर में एक भी साल ऐसा नहीं गुजरा जब दंगा न हुआ हो.
राहुल के सॉफ्ट हिंदुत्व से हुआ नुकसान?
मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं. इसके बावजूद यदि गुजरात में बीजेपी को करीब एक चौथाई मुस्लिम वोट मिले हैं तो इसके पीछे सवाल उठ रहे हैं, कि क्या यह राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड के चलते हुआ. पिछले चुनावों के विपरीत कांग्रेस ने इस बार मुस्लिम धर्मस्थलों से दूरी बनाए रखी. राहुल को जनेऊधारी ब्राह्मण और शिवभक्त के रूप में पेश किया गया, जबकि बीजेपी ने अपने अल्पसंख्यक नेताओं को गुजरात में मुस्लिमों के बीच प्रचार के लिए भेजा. राहुल गांधी इन चुनावों में मंदिर-मंदिर घूमते रहे. मुस्लिम इलाकों में उनकी सभाएं सीमित रहीं.
इन सीटों पर मुस्लिम बीजेपी को साथ
अहमदाबाद में मुस्लिमों की पहली पसंद कांग्रेस बनी, लेकिन बाकी क्षेत्रों में मुस्लिम बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में दिखे. गुजरात की धोलका, वागरा, लिंबायत, सूरत की मंगरोल, कडी, भुज, भरुच और उमरेठ विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिलने का यह भी एक कारण है.
धोलका विधानसभा सीट में बीजेपी उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह चुडासमा को 327 वोटों से जीत मिली. इस सीट पर 15 फीसदी मुस्लिमों ने बीजेपी उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह को वोट किया. अगर ऐसा नहीं होता तो यह सीट बीजेपी के लिए मुश्किल भरी होती.
वागरा विधानसभा से बीजेपी के अरुण सिंह राणा 2628 वोट से जीते हैं. इस सीट पर मुस्लिमों के करीब 24 फीसदी वोट बीजेपी के पक्ष में गए. लिंबायत विधानसभा सीट से संगीताबेन पाटिल ने जीत दर्ज की. इस सीट पर भी मुस्लिमों का करीब 35 फीसदी वोट बीजेपी को मिला.
इसी तरह सूरत की मंगरोल विधानसभा सीट से गणपति सिंह वासवा के पक्ष में मुस्लिम खड़े नजर आए. कडी विधानसभा से करणभाई सोलंकी, भुज विधानसभा सीट डॉ. निमाबेन अचार्य, भरुच सीट से दुष्यंत पटेल और उमरेठ विधानसभा सीट से उतरे गोविंद परमार को अच्छा खासा मुस्लिम वोट मिला.