मोहम्मद अहमद
नई दिल्ली, वतन समाचार ब्योरो:
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए बगैर महरम के महिलाओं के हज पर जाने और हज पालिसी 2018 का जिक्र किए जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने
वतन समाचार से बातचीत में कहा है कि बगैर महरम के महिलाओं के हज पर जाने का बोर्ड के सामने इस वक्त इतना बड़ा मसला नहीं है कि इस पर बोर्ड कोई कमेंट करें. उन्होंने कहा कि इस वक्त बोर्ड के सामने इस से बड़े चैलेंजेज हैं, जिस से बोर्ड निपटने पर विचार कर रहा है.
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कमाल फारूकी: फाइल फोटो[/caption]
मौलाना नोमानी ने
वतन समाचार से बातचीत में कहा कि जहां तक बगैर महरम के बनी नई हज पॉलिसी 2018 में कमाल फारुक़ी की मौजूदगी की बात है तो वह बोर्ड के मेंबर की हैसियत से वहां मौजूद नहीं थे. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने बोर्ड से इस मसले पर कोई बातचीत की होती तो बोर्ड अपना कोई ना कोई प्रतिनिधित्व जरुर भेजता. उन्हों ने कहा कि कमाल फारुक़ी अपनी ज़ाती हैसियत से वहां पर मौजूद थे. मौलाना नोमानी का कहना था कि महरम के बगैर हज पर जाने का जहां तक मसला है तो इसकी इजाजत इस्लाम में कुछ सेक्ट देते हैं, इसलिए यह हमारे लिए इतना बड़ा मसला नहीं है.
गौरतलब है कि नई हज पॉलिसी में इस बात का उल्लेख है कि अगर आप का सेक्ट आपको बगैर महरम (पति या वह व्यक्ति जिस से महिला के लिए शादी करना हराम हो) के हज पर जाने की इजाजत देता है तो आप कम से कम 4 महिलाओं के ग्रुप में हज का फ़रीज़ा अजाम दे सकती हैं, यदि आप की आयु 45 साल या उस से अधिक है. बोर्ड के सदस्य मौलाना अब्दुल हमीद अजहरी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर दिए गए रिमार्क्स पर नोमानी ने बोर्ड का पक्ष रखते हुए कहा कि यह उनकी अपनी राय है, और जहां तक मीडिया की बात है तो यह लोग खुद खबरों के साथ बोर्ड को जोड़ देते हैं और मौलाना अज़हरी माले गाँव की बड़ी शख्सियत हैं.