मशहूर उर्दू दैनिक हमारा समाज के एडिटर खालिद अनवर को बिहार विधान परिषद में भेजे जाने को नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. भाजपा से गठबंधन के बाद से ही नीतीश कुमार सवालों के घेरे में हैं. नीतीश कुमार पर विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि उन्हें बिहार की जनता ने महागठबंधन के नाते मुख्यमंत्री चुना था और अपार बहुमत दी थी, लेकिन उन्होंने गठबंधन का अपमान करते हुए मैंडेट की तोहीन की और BJP की गोद में जाकर बैठ गए.
नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद बिहार में विधानसभा और लोकसभा की सीटों पर हुए उपचुनाव में भी उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी, जिसके बाद से वह काफी परेशान थे और मुस्लिम वोट जो उनका परंपरागत वोट माना जाता था उसको हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे. अब जबकि उन्होंने खालिद अनवर को बिहार विधान परिषद में भेजने का फैसला किया तो उसे नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है.
खालिद अनवर के बारे में कहा जाता है कि वह लंबे समय तक कांग्रेस नेताओं के काफी करीब रहे हैं. उन्हें अहमद पटेल से लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं का करीबी माना जाता है. कहा जाता है कि वक्फ़ कानून बनाने में के रहमान के साथ खालिद अनवर ने बड़ी भूमिका अदा की थी. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार खालिद अनवर को बिहार विधान परिषद में भेजे जाने से विपक्ष मैं काफी बेचैनी है और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का यह मानना है कि अब मुस्लिम वोट जो एक तरफा विपक्ष को मिलने का इमकान था उसमें अच्छी खासी सेंध लग सकती है जो 2019 में नीतीश की नय्या पार लगा सकता है.
जेडीयू के जरिया खुद को बिहार विधान परिषद के लिए नियुक्त किए जाने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भी खालिद अनवर एक मंझे हुए सियासतदां के तौर पर सामने आये. उन्हों ने दो लफ़्ज़ों में कहा कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ अपनी हिस्सेदारी की है. उन का कहना था कि वह किसी के पक्ष या विपक्ष की बात नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री उनके नेता हैं और सरकार की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाना और क्या सरकार और जनता के लिए बेहतर हो सकता है उस पर काम करना और उस से सरकार को अवगत कराना उनकी प्राथमिकता होगी.
खालिद अनवर ने तीन तलाक बिल पर मिडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि तीन तलाक शरीयत के खिलाफ है और मुख्यमंत्री ने इसको लेकर लॉ कमीशन को एक चिट्ठी भी लिखी है. जब पत्रकारों ने उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में और BJP के बारे में सवाल किया तो वह सवालों को टाल गए और यही कहते रहे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन के नेता हैं और तीन तलाक पर उनकी राय सरकार की राय है. उनसे उलट सरकार की कोई और राय नहीं है.
याद रहे कि खालिद अनवर लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में एक्टिव रहे हैं. उन्होंने समाज और अल्पसंख्यकों की परेशानियों से हमेशा सरकार को अवगत कराया है. अब जबकि खालिद अनवर ने जेडीयू का दामन थाम लिया है और विधान परिषद के लिए नियुक्त हो गए हैं, ऐसे में विपक्ष को काफी झटका लगता नजर आ रहा है. इस बात का इमकान है कि मुस्लिम वोट अब आने वाले दिनों में तेजी से नीतीश कुमार की ओर डाइवर्ट होगा.
जेडीयू के एक नेता ने बिहार की मौजूदा स्थिति को लेकर वतन समाचार के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मुसलमानों को अपनी सोच नीतीश को लेकर बदलनी होगी. उन्हों ने कहा कि हम बीजेपी के साथ जरूर हैं लेकिन हमने सेकुलरिज्म या संविधान के हितों से समझौता कभी नहीं किया है. रामनवमी के मौके पर जो कुछ हुआ उस पर हम शर्मिंदा हैं, लेकिन यह भी सच है कि उसमें नीतीश कुमार ने किसी भी इंसान की जान नहीं जाने दी और लोगों का जो नुकसान हुआ उस का सरकार ने भरपूर मुआवज़ा दिया, जबकि बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है. वहां कई मुसलमान मारे गए उसके बाद भी ममता बनर्जी सर्कुलर हैं. मुसलमानों को सेकुलर और कम्युनल में फर्क समझना होगा.
अब आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि विपक्ष मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करने के लिए क्या हर्बा अपनाता है. और वह भी ऐसे वक़्त में जबकि नीतीश कुमार पूरी ईमानदारी के साथ अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर काम करते हुए नजर आ रहे हैं. इसे देखते हुए आने वाले दिनों में विपक्ष के लिए मुस्लिम वोटों को अपने हक में करना आसान नहीं होगा, क्योंकि अब बात सेकुलर और कम्युनल से आगे आकर हर समाज अपनी हिस्सेदारी की बात कर रहा है.
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