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डॉ ज़फरुल इस्लाम खान अध्यक्ष दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के नाम खुला पत्र

By: वतन समाचार डेस्क

 जनाब डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खान साहब अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुहू.

 उम्मीद है आप खैरियत से होंगे. मैं इस खत को बड़ी आशाओं के साथ आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं. मुझे यकीन है कि इस खत को पढ़ने के बाद आप मुझे अपना विरोधी नहीं समझेंगे, क्योंकि कुछ लोग पहले ही मुझे आप का दलाल या आपके पेरोल पर पलने वाला इंसान समझते हैं. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मैं आपके इशारे पर कुछ लोगों के खिलाफ स्टोरी प्लांट करता हूं. सच क्या है यह मै आप और अल्लाह के अलावा शायद ही कोई और जानता हो और मैं किसी को बताना भी नहीं चाहता.

 

डॉ साहब आज दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के वार्षिक सम्मेलन में एक पत्रकार के तौर पर शरीक होने का मौका मिला, जिस वक्त आप दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की कामयाबियों पर रोशनी डाल रहे थे उस वक्त आप ने कहा कि "दिल्ली में अल्पसंख्यकों की आबादी 20 फीसद है जबकि कई ऐसे सरकारी विभाग हैं जिसमें उन की नुमाइंदगी ज़ीरो से कुछ ज्यादा है, इसके लिए भी हम सरकार से बातचीत कर रहे हैं".

 

 यह सच है कि आप पढ़े लिखे व्यक्ति हैं. आप ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया देखी है. हिंदी उर्दू अंग्रेजी के साथ अरबी जुबान पर आपकी गहरी पकड़ रखते हैं. आप अक्सर अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आवाज उठाते रहते हैं.

 

 किसी की अगर असलियत जानना हो तो यह जानना जरूरी है कि वह अपने समाज या समुदाय का कितना हमदर्द है, यह तभी पता चलता है जब उसके हाथ में पावर हो. आज आपके हाथ में पावर है. आज आप का भाषण काफी अहम था उस में आशा और उम्मीद भी थी. लेकिन दुख इस बात का है कि जब चिराग तले अंधेरा नजर आए. आपके कमिशन में आप लोगों को इस बात का अधिकार प्राप्त है कि आप दो और कुछ लोग कहते हैं कि तीन व्यक्तियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रख सकते हैं यानी 3 लोगों को रोजगार दे सकते हैं.

 

 मुझे नहीं मालूम कि यह काम आज तक आपने क्यों नहीं किया, क्या यह दिल्ली सरकार की पॉलिसी है कि लोगों को अपॉइंट ना किया जाए या आपका और आपके साथियों का फैसला.

 

 दूसरी बात यह कि किसी भी कौम को जिंदा रखने के लिए उसकी जुबान सबसे ज्यादा अहम होती है. कमीशन की आपने सालाना रिपोर्ट पेश की, जिसे सिर्फ अंग्रेजी जुबान में प्रकाशित किया गया है. बीते दिनों अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अगर हौसले का इजहार किया होता कि आप उर्दू और पंजाबी में इसे प्रकाशित करने का इरादा रखते हैं तो हम मान लेते आपकी नीयत ठीक है, लेकिन आप ने इस सवाल पर बच बचाकर निकलने की कोशिश की.

 

  मुझे नहीं मालूम कि इंग्लिश जिसे 2 या 03 फीसद लोग ही जानते होंगे शायद उस के साथ अपने ने रिपोर्ट उर्दू हिंदी और पंजाबी में क्यों नहीं पेश किया जबकि एक बड़ी आबादी इन ज़ुबानों को जानती है.  इसलिए डॉक्टर साहब कोशिश कीजिए जो काम आपके करने का है पहले उसे कीजिए. उसके बाद दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार या राज्यों की सरकारों पर कोई तब्सरा कीजिये.

 

 मुझे आशा है कि आप मेरे इस खत पर संज्ञान जरूर लेंगे और मुझे अपना विरोधी नहीं समझेंगे.

 आपका अपना मोहम्मद अहमद एडिटर वतन समाचार

 मोबाइल नंबर: 09711337827

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