अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता के मोर्चे पर निकले श्री श्री रविशंकर इन दिनों फुल फॉर्म में हैं. वे लगातार हिंदू-मुस्लिम नेताओं से मुलाकात कर दशकों पुराने इस विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की संभावनाएं टटोल रहे हैं. हालांकि दोनों पक्षों में समझौते के उनके मॉडल पर स्थिति अब तक साफ नहीं हैं.
aajtak.in ने रविशंकर से मुलाकात करने वाले तमाम मुस्लिमों रहनुमाओं से बात की. इस बातचीत में सामने आया है कि श्री श्री रविशंकर मुस्लिमों से समझौता नहीं, सरेंडर की उम्मीद लगाए बैठे हैं. अगर ये बात सही है तो इस बातचीत का हश्र सोचा जा सकता है.
6 अक्टूबर को बेंगलुरू में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात करने वाले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एजाज अरशद कासमी ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर मध्यस्थता की बात तो कर रहे हैं, लेकिन समझौते का कोई मॉडल नहीं पेश कर रहे.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर मुस्लिम समुदाय से राममंदिर के लिए मस्जिद की जमीन गिफ्ट चाहते हैं. फारुकी ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि मुस्लिम पक्ष इस बात पर एक मत है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा उसे हम मानेंगे और आप भी मानिए.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर अगर ये चाहते हैं कि मुस्लिम पक्षकार मस्जिद से अपना हक छोड़ दें तो ये नामुमकिन है.
मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा श्री श्री की पहल को लेकर बार बार कही जा रही सरेंडर की बात राम मंदिर मुद्दे पर पक्षकार निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास के बयान से भी मजबूत होती है. आजतक के खुलासे में दास ने कहा है कि राममंदिर के लिए मानने पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को 1 करोड़ रुपये से लेकर 20 करोड़ रुपये तक दिए जा सकते हैं.
हालांकि खुद श्री श्री रविशंकर समझौता या सरेंडर विवाद पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. उन्होंने अपने पास कोई मॉडल होने तक की बात स्वीकार नहीं की है. वे लगातार दोनों पक्षों के धार्मिक नेताओं से मिल रहे हैं. इस पहल में उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी, ये अगले कुछ दिन में साफ हो जाएगा.
(input aajtak.indiatoday.in)