धर्म कोई भी हो, बीमारों की सेवा और भूकों को खाना खिलाने को उसमें काफी मत्त्व दिया गया है. समय जब संकट का हो और कोई एक दूसरे का पुछार न हो, लोग अपनों के अंतिम संस्कार से दूर भाग रहे हों, मानवता का जनाज़ा डर और खौफ के कारण उठ रहा हो, तो इस का महत्त्व और बढ़ जाता है. कहीं ऐसे लोग भी मौजूद होते हैं जो इन विपरीत परिस्थितियों में दुखियारों के दुःख को बांटते हैं. भूकों को ढूंढ ढूंढ कर अपनी जान जोखिम में डाल कर खाना खिलाते हैं. लोगों की गंदगी को खुद साफ़ करते हैं और बीमारों को फ्री में डॉ. से कँनेट कराते हैं और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए तरह तरह के जागरूक प्रोग्राम करते हैं.