नई दिल्ली, 8 दिसंबर: राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों द्वारा नई दिल्ली के रामलीला मैदान में बुलाए गए धर्म संसद पर कठोर प्रतिक्रिया देते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सदस्य और प्रसिद्ध समाजसेवी वसीम अहमद गाजी ने आज कहा वे लोग जो राम मंदिर मुद्दे पर धर्म संसद बुला रहे हैं, वे अपने ही असल मुद्दे से देश को भटका रहे हैं, क्योंकि वह अपने असल मुद्दों पर चुप हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें धर्म संसद इस बात पर बुलाना चाहिए कि जब गौ हत्त्या एक घातक बीमारी का रूप धारण कर चुकी है और उसकी आड़ में मासूमों को फंसाया जा रहा है इसके बावजूद क्यों नहीं सरकार इस पर एक ऐसा कानून लाती है कि गाय की खरीद और बिक्री को राष्ट्रीय अपराध घोषित किया जाये, और फांसी से काम की सज़ा न हो।
वसीम गाजी ने कहा कि यह लोग हिंदी हिंदू हिंदुस्तान की बात करते हैं लेकिन इस बात पर क्यों नहीं संसद बुलाते कि हिंदी को राष्ट्रीय भाषा घोषित किया जाए और हिंदी पढ़ने लिखने और बोलने को अनिवार्य करार दिया जाए, क्या उनका हिंदी प्रेम केवल छलावा है. उन्होंने कहा कि वे परिवार नियोजन पर चुप क्यों हैं? यह लोग सरकार को क़ानून बनाने के लिए मजबूर क्यों नहीं करते हैं ताकि परिवार नियोजन अनिवार्य घोषित किया जाए।
वसीम गाजी ने कहा कि सबरीमालह में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद यह महिलाओं के प्रवेश पर बवाल मचा रहे हैं और महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं .क्यों नहीं महिलाओं को सबरीमालह में प्रवेश की अनुमति दी जाती. क्या उनका महिलाओं के सम्मान का दावा भी डखकोसला है। उन्होंने कहा कि अगर उक्त बातें यह सरकार से मनवा लेते हैं और सरकार बिल लाकर कानून बनाती है और इस को क़ौमी पैनाने पर लागू किया जाता है तो मेरी मुसलमानों को सलाह है कि वह बाबरी मस्जिद से अपनी याचिका वापस ले हालांकि, अन्यथा हिंदुत्व के ठेकेदारों को मस्जिदों बनाने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि इसका अंतिम निर्णय बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लेना है, लेकिन यह मेरी निजी राय है।
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